पूर्वोत्तर भारत में मेघालय राज्य की राजधानी शिलाँग से क़रीब 45 किमी दूर स्थित चेरापूँजी क़स्बा किसी परिचय का मोहताज नही है । भारत के शिक्षा तंत्र में इस क़स्बे ने बड़ी जल्दी ही अपनी एक जगह बना ली और बचपन से हर किसी के दिमाग़ में दुनिया में सबसे ज़्यादा बारिश वाले स्थान के रूप में घूमने लगा, कभी खाँटी भूगोल के प्रश्नों में तो कभी सामान्य ज्ञान की किताबों में। सबसे ज़्यादा बारिश वाले स्थान के अलावा इस क़स्बे को ना और कोई फ़ुटेज मिलनी थी और ना ही मिली। वो तो भला हो इक्कीसवीं सदी के होनहार नौजवानों का जिन्होंने फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर फ़ोटो चिपकाने के नाम पर पूर्वोत्तर भारत की तरफ़ देखना शुरू किया और शीघ्र ही चेरापूँजी और उसके आस पास फैली कुदरत की अभूतपूर्व ख़ूबसूरती से लोग रुबरू होना शुरू कर दिए। फिर तो सोहरा (चेरापूँजी का स्थानीय बोलचाल में प्रयोग होने वाला नाम) का जादू भारतीय तरुण-तरुणियों के सिर पर ऐसा चढ़कर बोला कि पूर्वोत्तर भारत में घूमने के उद्देश्य से कदम रखने का मतलब ही शिलाँग और चेरापूँजी घूमना हो गया। आज भी पूर्वोत्तर भारत की अबाध ख़ूबसूरती से प्रभावित होकर इधर रुख़ करने वालों का मुख्य पड़ाव मेघालय के यही दो क़स्बे रहते हैं।
मेघालय घूमने की विस्तृत जानकारी यहाँ उपलब्ध है: बादलों का घर मेघालय
मई-जून के महीने में जब उत्तरी भारत गर्म लू के थपेड़ों से खुद को बचाने की जद्दोजहद में जूझ रहा होता है, तो सुदूर पूर्व स्थित मेघालय में बारिश की रिमझिम यहाँ की सरज़मीं को एक अलग ही रंग में रंग रही होती है। जुलाई- अगस्त आते-आते मेघालय की धरती पर हर तरफ़ हरे रंग की कालीन बिछ जाती है। इन सब के बीच में सोहरा की वादियों में सफ़ेद और काले बादल अठखेलियाँ करते हुए जब तब बरसते रहते हैं । कभी-कभी तो सोहरा में एक दिन में ही इतनी बारिश हो जाती है, जितनी देश के कई हिस्सों में साल भर में भी नही होती। मेघालय की अद्वितीय ख़ूबसूरती निहारने का सबसे सही वक्त यही बारिश का मौसम होता है । लेकिन दिक़्क़तें भी इसी नामुराद बारिश की वजह से ही होती है। सोहरा की घाटियों में गाहे-बगाहे बरस पड़ने वाले बादलों को पर्यटकों से कोई हमदर्दी नही होती, उन्हें कोई मतलब नही कि आप सोहरा की इन वादियों में घूमने के लिए कितनी दूर से आए हैं या आपको ये छुट्टियाँ कितनी मुश्किल मिली हैं। ये तो बस बरसना जानते हैं और जब ये बरसते हैं तो मानो फट पड़ते हैं।
शिलाँग के बारे में यहाँ पढ़ें: पूरब का स्कॉटलैंड शिलाँग
अगर बादल बरसे भी नहीं तो घाटियों में ऐसे घुमड़ते हैं कि 50-100 मीटर की दूरी से आगे नज़र आना मुश्किल हो जाता है । फिर क्या झरने और क्या हरियाली ! कहने का मतलब यह कि बारिश के मौसम में चेरापूँजी की यात्रा का मज़ा बादलों की मेहरबानी पर निर्भर करता है, बशर्ते आपके पास इंतजार करने लायक़ पर्याप्त दिन हों। अगर बादल मेहरबान तो सोहरा की घाटियों में आपको अलौकिक सौंदर्य की अनुभूति होगी और अगर बादलों का गणित बिगड़ा तो आपको सिर्फ़ ऊँचाई से गिरते झरनों की आवाज़ें सुनाई देंगी। ऐसे में यहाँ स्थित गुफ़ाओं में घूमकर दिल को थोड़ी सांत्वना दी जा सकती है। अगस्त के महीने में हमारी पहली चेरापूँजी यात्रा के तीन दिन तो बारिश की भेंट चढ़ गए थे। वो तो क़िस्मत से एक बार जुलाई के महीने में बादल मेहरबान हो गए और मुझे सोहरा की अद्भुत ख़ूबसूरती के दर्शन हुए।
सितम्बर से नवंबर तक के समय को मेघालय घूमने का सबसे सही समय मान सकते हैं । बादलों की गड़गड़ाहट लगभग शान्त हो चुकी होती है, घाटियों में दूर तक फैली हरियाली की चादर साफ़ नज़र आती है, झरने अपना रौद्र रूप त्यागकर शांति से बहने लगते हैं और बारिश में रुक-रुककर मंथर गति से चल रहा स्थानीय जीवन रफ़्तार पकड़ रहा होता है । हालाँकि बारिश गाहे-बगाहे होती रहती है, लेकिन फिर भी एक सफल और यादगार यात्रा की पूरी गुंजाइश रहती है । शिलाँग और सोहरा के बारे में मैंने इसके पहले दो पोस्ट लिखी हैं, जिनमें इन दोनों क़स्बों के मुख्य पर्यटन स्थलों के बारे में विस्तृत जानकारी है। इस पोस्ट में मैं सोहरा के आसपास फैले उन झरनों और पर्यटन स्थलों की बात करूँगा, जहाँ पर्यटक आमतौर पर नहीं जाते हैं । ये जगहें अमूमन किसी पैकेज टूर का हिस्सा नहीं रहती हैं । कई बार स्थानीय टैक्सी ड्राइवर भी यहाँ नहीं ले जाते हैं । चाहे-अनचाहे यह खूबसूरत झरने पर्यटकों की नज़र से ओझल रहते हैं, या तो सही जानकारी के अभाव में या वहाँ तक पहुँचने के लिए अच्छे रास्तों के अभाव में। तो चलिए चलते हैं सोहरा के अनछुए सौंदर्य की सैर पर :
विषयसूची
वेइ सावडाँग झरना (Wei Sawdong Falls)
सोहरा के एक प्रमुख आकर्षण डैंथलेन झरने के पास में स्थित वेइ सावडाँग को हम यहाँ का Best Kept Secret बोल सकते हैं । बड़े ही आश्चर्य की बात है कि डैंथलेन झरना जहाँ पर्यटकों की भीड़ से सुबह से शाम तक गुलज़ार रहता है, वही क़रीब २ किमी की दूरी पर स्थित कुदरत के इस नायब नगीने तक इक्का-दुक्का लोग ही जाते हैं। इस झरने के दीदार के लिए घने जंगल वाले रास्ते पर मुख्य सड़क से उतरकर करीब २० मिनट तक चलना पड़ता है, लेकिन उसके बाद आँखों के सामने जो विहंगम नैसर्गिक दृश्य नज़र आता है, वो जंगल के वीरानों में सारे कष्ट दूर कर देता है । उस नज़ारे को देखने के लिए मैं तो ऐसे कितने कदम चल जाऊँ , यह तो बस २० मिनट की बात है। लेकिन अफ़सोस की वेइ सावडाँग तक पर्यटकों की पहुँच बड़ी कम है । एक दृष्टि से देखा जाए तो झरने की प्राकृतिक सुंदरता के लिए यह अच्छी बात ही है ।
यह झरना तीन स्तरों से बना है। बारिश के मौसम में पानी की गड़गड़ाहट में इसका विकराल स्वरूप नज़र आता है, लेकिन सर्दियों के मौसम में जब पानी की मात्रा कम हो जाती है, तो वही विकराल सा झरना शांत और स्थिर गति से बहने लगता है। उस समय अलग-अलग स्तर पर हरे-नीले रंग के पानी से भरे तीन छोटे-छोटे स्वीमिंग पूल में गिरती दूध सी सफ़ेद पानी की धार एक अलग ही नजारा पेश करती है। सच कहूँ तो वेइ सावडाँग घूमने का असली मज़ा नवम्बर-दिसम्बर के महीने में ही है, जब यह झरना किसी शांत स्थिर तपस्वी की तरह मन्द – मन्द हिलोरे लेता है। इस समय यहाँ नीचे स्थित स्वीमिंग पूलों में नहाना भी सुखद रहता हैं। बारिश की तरुणाई में इसका रौद्र रूप नहाने का मज़ा किरकिरा कर देता है ।
झरने का आनंद उठाने के लिए दो व्यूपाइंट हैं। पहले व्यूपाइंट से झरने के तीनों स्तरों का विहंगम दृश्य नज़र आता है । दूसरे व्यूपाइंट के लिए झरने के निचले तल तक जाना पड़ता है। पहले व्यूपाइंट तक तो रास्ता अच्छा है, लेकिन दूसरे व्यूपाइंट के लिए रास्ता थोड़ा सा कठिन है। वहाँ जाने के लिए २-३ जगह बाँस-बल्लियों से बनी सीढ़ियों का प्रयोग करना पड़ता है, जिनपर बारिश के दौरान बहुत फिसलन हो जाती है। थोड़ी से सावधानी रखकर इस रास्ते से झरने के निचले तल तक पहुँच सकते हैं। यहाँ पानी के इकट्ठा हो जाने से बने स्वीमिंग पूल में नहाने का आनन्द भी उठा सकते हैं। झरने के एक तरफ़ खड़ी पहाड़ की चट्टानों में भिन्न-भिन्न आकार के अनगिनत गड्ढे नज़र आते हैं, जो बरसों से पड़ते पानी के थपेड़ों की वजह से बन गए हैं।
खुलने का समय : सूर्योदय से सूर्यास्त तक
प्रवेश शुल्क: झरने के पास मुख्य सड़क के किनारे गाड़ी खड़ी करनी होती है। स्थानीय लोग सुबह 10 बजे के आसपास वहाँ खाने-पीने की चीजों के 2-3 स्टाल लगा लेते हैं। गाड़ी के लिए कोई पार्किंग शुल्क नही है। सुबह जल्दी पहुँचने से गाड़ी को लावारिस हालत में सड़क के किनारे छोड़ना पड़ता है, हालाँकि उसमें भी कोई ख़तरा नही है। झरने को देखने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नही है।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट: वेइ सावडाँग झरना तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की उपलब्धता लगभग ना के बराबर है । वैसे तो झरने के आगे स्थित मावडान, लाइदुह, रूमनोंग, रामदाइत इत्यादि गाँवो की तरफ़ जाने वाली शेयर्ड गाड़ियाँ इस झरने के बिल्कुल बग़ल से गुजरती हैं, लेकिन एक पर्यटक के लिए इन गाड़ियों का पता लगाना थोड़ा कठिन है । यह झरना प्रसिद्ध सा-इ-मीका रिसॉर्ट वाले रास्ते पर सोहरा से क़रीब 12 किमी दूर है । अगर शिलाँग-सोहरा मुख्य सड़क पर आरेंज रूट रेस्टोरेंट के पास, जहाँ से डैन्थलेन झरना की सड़क निकलती है या फिर सा-इ-मीका के सामने खड़े होकर इंतज़ार करे, तो शायद कोई सवारी गाड़ी मिल सकती है । लेकिन इसमें भी दिक़्क़त ये है कि सोहरा से चलने के बाद ज़्यादातर समय गाड़ियों की सीट पूर्णतया भरी होती है, तो बीच रास्ते से गाड़ी का मिलना मुश्किल हो सकता है ।
चेरापूंजी के मुख्य पर्यटन स्थलों के बारे में यहाँ पढ़ें : बादल, बारिश और झरनों का शहर चेरापूँजी
मावसावडाँग झरना (Mawsawdong Falls)
शिलाँग-चेरापूँजी मुख्य हाइवे पर चेरापूँजी पहुँचने से क़रीब 10 किमी पहले एक सड़क मावकमा (Mawkama) गाँव की तरफ़ मुड़ती है। अगर गूगल मैप में खोजना हो, तो Mawkama नाम से खोज सकते हैं। गूगल मैप के ही अनुसार यह सड़क डैंथलेन झरने के आगे सोहरा से डैंथलेन झरने की तरफ़ जाने वाली सड़क में मिल जाती है। मैप में देखने पर मावकमा गाँव से आगे इस सड़क के किनारे ३-४ झरने दिखाई देते हैं। यह झरने भी पर्यटकों की नज़र से दूर सोहरा के अनछुए आकर्षण हैं । बारिश के मौसम में यूँ ही एक दिन मैप में सोहरा के आसपास का क्षेत्र खँगालते हुए मेरी नज़र इन झरनों पर पड़ गई और मैंने तुरंत ही उधर जाने का फ़ैसला कर लिया।
मावकमा गाँव तक तो सड़क अच्छी स्थिति में है, लेकिन गाँव की बाहरी सीमा पर पहुँचते ही सड़क की हालत ख़राब होने लगती है । फिर भी चार-पहिया गाड़ी द्वारा मावसावडाँग झरने के पास तक आराम से पहुँचा जा सकता है । पार्किंग स्थल से झरने तक पहुँचने के लिए क़रीब 1 किमी पैदल चलना पड़ता है । पथरीले पठार पर घास के हरे-भरे मैदानों के बीच से होते हुए झरने तक पहुँचते ही सारी थकान दूर हो जाती है । सामने दिख रही पहाड़ी से अनेकों धाराएँ नीचे स्थित कुंड (Pool) में गिरती रहती हैं। ऐसे दृश्य केवल बारिश के मौसम में ही सम्भव हैं, अन्यथा ठंडियों के दौरान तो यह झरना सूख जाता होगा या केवल पानी की एक पतली सी धार जैसा दिखता होगा।
खुलने का समय : सूर्योदय से सूर्यास्त तक
प्रवेश शुल्क: सड़क के किनारे झरने की तरफ़ प्रवेश करने के लिए एक प्रवेश द्वार बना हुआ है। उससे गुजरकर आगे बढ़ने पर एक विशाल पार्किंग क्षेत्र नज़र आता है। पार्किंग स्थान से झरने के लिए क़रीब किमी पैदल चलना पड़ता है। पार्किंग शुल्क शायद गाड़ियों के लिए 40 रुपए और मोटरसाइकिल के लिए 20 रुपए है।
लिंकसियर झरना (Lyngksiar Falls)
मावसावडाँग झरने से आगे सड़क की हालत बहुत ही ख़राब है । सड़क पर बड़े-बड़े बोल्डर जहाँ तहाँ बिखरे रहते हैं। सड़क क्या है, बल्कि यूँ कहें कि लिंकसियर झरने के पास तक पहाड़ की कटाई काफ़ी बेतरतीब तरीक़े से हुई है। इस रास्ते पर बाइक तो जैसे-तैसे पार हो जाती हैं, लेकिन गाड़ी से सफ़र करना नामुमकिन ही है। हालाँकि निकट भविष्य में सड़क के जल्दी ही बन जाने की उम्मीद नज़र आती है । यहाँ भी मुख्य सड़क से उतरकर लिंकसियर तक पहुँचने के लिए क़रीब एक किमी पैदल चलना पड़ता है। क़रीब आधा किमी के बाद खेतों को घेरकर एक बाड़ा बनाया गया है, जिसके प्रवेश द्वार पर झरने को देखने का समय लिखा हुआ है। वहाँ से हरे- भरे खेतों के बीच चलकर क़रीब 10 मिनट तक पथरीली सीढ़ियाँ उतरने के बाद झरने की तलहटी तक पहुँचा जा सकता है।
झरने के नीचे बह रही नदी में आराम से नहाया जा सकता है । जब मैं वहाँ पहुँचा तो दूर-दूर तक कोई नज़र नहीं आ रहा था। उस नितांत जंगल में प्रकृति की अनमोल ख़ूबसूरती को बिना किसी रोकटोक के निहारने का सौभाग्य बड़ा ही निराला था। लिंकसियर झरने में पानी की धारा दो स्तरों से गिरती है । यह झरना में देखने में कुछ-कुछ जयंतिया पहाड़ियों में स्थित प्रसिद्ध क्रांग सूरी झरने जैसा लगता है, लेकिन जहाँ क्रांग सूरी पर्यटकों की भीड़ से गुलज़ार रहता है, वही लिंकसियर उस सारे कोलाहल से दूर एक सुरम्य वातावरण से घिरा हुआ है ।
खुलने का समय : सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक
प्रवेश शुल्क: सड़क के किनारे एक जगह झरने के नाम का बोर्ड लगा हुआ है। वहाँ से कुछ दूर पैदल चलने पर बांस का एक बाड़ा नज़र आता है, जो कि मुख्य प्रवेश द्वार है। क़ायदे से तो बाक़ी पर्यटन स्थलों की तरह 20 रुपया का प्रवेश शुल्क होना चाहिए, लेकिन जब मैं पहुँचा तो वहाँ कोई था ही नही। हो सकता है कम लोगों के आने की वजह से वहाँ ऐसी कोई व्यवस्था नही है।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट: इस झरने तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की उपलब्धता नही है। नज़दीकी गाँव मावकमा (3 km ) तक शेयर्ड गाड़ियाँ मिल जाती हैं। वैसे थोड़े अतिरिक्त पैसे देकर उसी गाड़ी को 1 किमी दूर स्थित मावसावडाँग झरने तक ला सकते हैं। इससे दोनों झरने आराम से घूम सकते हैं।
मावसावा झरना (Mawsawa Falls)
लिंकसियर झरना देखने के बाद उसी कच्ची सड़क पर आगे बढ़ते रहने पर दूर से ही एक-दो छोटे-मोटे झरने नज़र आते हैं। पत्थर के बोल्डर, कीचड़ और कहीं-कहीं बड़े-बड़े गड्ढे मिलकर सड़क पर चलना दुरूह कर देते हैं। अपनी धुन में रमा मैं उसी सड़क पर आगे बढ़ता रहा और क़रीब एक घंटे के संघर्ष के बाद डैंथलेन के पास स्थित लाईदुह (Laitduh) गाँव तक पहुँचने में सफल रहा। हालाँकि सड़क की स्थिति को देखते हुए लिंकसियर घूमने के बाद सड़क पर आगे बढ़ते रहने की कोई ख़ास वजह नही नज़र आती, इसलिए मावकामा होते हुए वापस सोहरा की तरफ़ वापस आकर डैंथलेन झरने की तरफ़ जाने की बजाय मुझे ख़राब सड़क पर सीधे लाईदुह गाँव की तरफ़ बढ़ना ज़्यादा उचित प्रतीत हुआ । लेकिन ऐसा तभी कर सकते हैं, जब मोटरसाइकिल से यात्रा कर रहे हों ।
डैंथलेन झरना सोहरा का एक प्रमुख आकर्षण है, इसलिए बहुत सारे पर्यटक वहाँ पहुँचते हैं । लेकिन सड़क पर लगे स्पष्ट बोर्ड के बावजूद बहुत कम लोग ही मावसावा झरने तक घूमने जाते हैं, जो कि डैंथलेन से क़रीब 5 किमी पहले स्थित है। इस झरने तक पहुँचने के लिए मुख्य सड़क के किनारे गाड़ी खड़ी करके क़रीब 1 किमी तक पैदल चलना पड़ता है । उसके बाद पहाड़ी से उतरकर एक घने जंगल में क़रीब 15 मिनट तक चलने के बाद मावसावा झरने तक पहुँचा जा सकता है । मावसावा की सबसे बड़ी ख़ासियत यहाँ बहती नदी के किनारे स्थित एक शानदार बलुआ नदी तट (Beach) है। मेघालय के झरनों में शानदार स्वीमिंग पूल तो कई जगह नज़र आते हैं, लेकिन घने जंगलों के बीच में स्थित ऐसे नयनाभिराम बलुआ तट बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। सोने पे सुहागा ये कि बाक़ी जगहों की तरह ही मावसावा की ख़ूबसूरती को निहारने के लिए मैं वहाँ अकेला ही खड़ा था।
खुलने का समय : सूर्योदय से सूर्यास्त तक
प्रवेश शुल्क: मुख्य सड़क पर लगे साइन बोर्ड के पास गाड़ी खड़ी करके आगे पैदल जाना पड़ता है। झरने को देखने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नही है।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट: मावडान, लाइदुह, रूमनोंग, रामदाइत इत्यादि गाँवो की तरफ़ जाने वाली शेयर्ड गाड़ियाँ द्वारा मुख्य सड़क पर लगे साइन बोर्ड तक पहुँचा जा सकता है।
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किनरेम झरना (Kynrem Falls)
यह भी एक विडम्बना ही है कि सोहरा के बाक़ी झरनों की भीड़ में किनरेम फ़ाल्स गुमनाम होकर रह गया। सोहरा-शेल्ला के मुख्य हाइवे के बिल्कुल किनारे स्थित किनरेम झरना इतना विशाल और भव्य है कि उसकी ख़ूबसूरती को कैमरे में समेट पाना असम्भव सा लगता है। लेकिन किनरेम की इस अद्वितीय ख़ूबसूरती के गवाह सिर्फ़ दो तरह के लोग होते हैं, उस सड़क से गुजरने वाले स्थानीय नागरिक या ट्रकों के ड्राइवर।
कुछ समय पहले तक मेघालय राज्य की एक मुख्य सड़क होने के बावजूद किनरेम झरने तक पहुँचने में बड़े पापड़ बेलने पड़ते थे और शायद यही वजह थी कि प्रकृति के इस अद्भुत नगीने तक भूले-भटके पर्यटक ही पहुँच पाते थे। हालाँकि अब किनरेम से गुज़रने वाली सड़क बहुत ही बेहतरीन स्थिति में है, लेकिन पर्यटकों की अनभिज्ञता के चलते अभी भी पर्यटक एजेंसियाँ और कैब ड्राइवर लोगों को उधर ले जाने से बचने के लिए तरह-तरह के बहाने बना देते है। लेकिन सच्चाई यही है कि किनरेम झरना मेघालय में सबसे आराम से घूमने वाले झरनों में से एक है और भव्यता में इसका कोई दूसरा जोड़ नही है। आसानी से पहुँच होने के कारण यह बच्चों, बुजुर्गों, दिव्यांग यात्रियों की पहुँच के अंदर भी है।
खुलने का समय : सूर्योदय से सूर्यास्त तक
प्रवेश शुल्क: सड़क के किनारे गाड़ी खड़ी कर झरने की ख़ूबसूरती को निहार सकते हैं। इसके लिए कोई शुल्क नही है।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट: सोहरा से शेल्ला को जाने वाली हर सवारी गाड़ी किनरेम झरने के सामने से गुजरती है ।
रेनबो झरना (Rainbow Falls)
नीचे स्थित कुंड (pool) में एक बड़ी से चट्टान पर किसी हथौड़े की तरफ़ गिरने वाला यह झरना सोहरा से थोड़ी दूर स्थित नारतियाँग (Nartiang) गाँव के पास है। नारतियाँग गाँव पेड़ों की जड़ों से बने द्विस्तरीय पुल (Double Decker Root Bridge) के लिए प्रसिद्ध है । वास्तव में ज़्यादातर यात्री नारतियाँग गाँव इस द्विस्तरीय पुल को ही देखने जाते हैं। रेनबो फ़ॉल तक इस पुल से आगे ऊबड़-खाबड़ पथरीले रास्ते पर क़रीब 45 मिनट के सफ़र के बाद पहुँचा जा सकता है । सर्दियों में जब झरने में पानी का प्रवाह कम हो जाता है, तो दोपहर के समय सूरज की किरणें पत्थर पर गिरते पानी से टकराकर इंद्रधनुष का अद्वितीय नजारा पेश करती हैं, इसलिए इस झरने का नाम रेनबो फ़ॉल पड़ गया।
खुलने का समय : सूर्योदय से सूर्यास्त तक
प्रवेश शुल्क: कोई प्रवेश शुल्क नही है।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट: गाड़ी से जाने पर सबसे पास तक के गाँव तिरना (Tyrna) तक जा सकते हैं। तिरना के लिए सोहरा से बहुत सी गाड़ियाँ उपलब्ध हैं । तिरना से क़रीब 2 घंटे का ट्रेक करके नारतियाँग गाँव तक पहुँचा जा सकता है । इस 2 घंटे के ट्रेक में क़रीब 2500 सीढ़ियाँ भी हैं। नार्तियाँग में डबल डेकर रूट ब्रिज के बग़ल से क़रीब 45 मिनट के ट्रेक के बाद रेनबो फ़ॉल पहुँच सकते हैं।
गार्डेन आफ़ केव्स (Garden of Caves)
सोहरा से क़रीब 15 किमी दूर लाइमावसीयांग (Laitmawsiang) गाँव में स्थित यह पार्क प्रकृति की गोद में बसा एक सुंदर नगीना है । शिलाँग से सोहरा जाते समय सोहरा से क़रीब 10 किमी पहले स्थित लाइरिंग्रिउ (Laitryngrew) गाँव के बीच से एक सड़क गार्डेन ऑफ़ केव्स की तरफ़ जाती है, जो आगे क़रीब 5 किमी की दूरी पर है ।
ख़ासी इतिहास में इस गार्डेन का एक महत्वपूर्ण स्थान है । कहा जाता है कि अंग्रेज-ख़ासी युद्ध (Anglo-Khasi War) के समय ख़ासी राजा ने इन्हीं गुफाओं में छिपकर अंग्रेजों के ख़िलाफ़ गुरिल्ला युद्ध लड़ा था । इसके परिसर में 3-4 खूबसूरत झरने भी है, जो देखने में तो बहुत विशाल और भव्य भले ना हो, लेकिन प्राकृतिक सुंदरता में किसी से कम नही हैं । गार्डेन में देखने के लिए कई स्थान है, जिनके लिए सटीक साइन बोर्ड लगाए गए हैं। पथरीले सलीके से बने रास्ते पर चलते हुए पूरा परिसर घूमने में कम से कम 2 घंटे का समय लगता है।
खुलने का समय : सुबह 8 बजे से शाम को 5 बजे तक ।
प्रवेश शुल्क: प्रवेश द्वार पर ही टिकट काउंटर है, जहां से 20 रुपए का टिकट लेकर अंदर भ्रमण किया जा सकता है । मोबाइल कैमरा का शुल्क 20 रुपए और DSLR कैमरा ले जाने का शुल्क 50 रुपए है। गाड़ी के लिए पार्किंग शुल्क 40 रुपए और मोटरसाइकिल के लिए 20 रुपए है।
आमतौर पर सोहरा जाने वाले पर्यटकों को प्रमुख स्थलों के अलावा जंगलों में छुपे झरनों की जानकारी नही रहती। पर्यटन एजेंसियों की मुख्य सूची में ना होने की वजह से यह सारे आकर्षण बेजोड़ होने के बावजूद लोगों की नज़रों से दूर ही रहते हैं। उम्मीद है कि आपकी अगली चेरापूँजी यात्रा में यह पोस्ट कुछ अनदेखे झरनों तक आपकी पहुँच में सहायक सिद्ध होगी।