दो साल पहले गुवाहाटी में रहना शुरू करने की वजह से बादलों का घर, मेघालय, मेरा पड़ोसी हो गया, वो भी ऐसा पड़ोसी जहाँ मैं जब चाहूँ, जैसे चाहूँ बिना किसी योजना के टपक पडूँ । मेघालय में घुमक्कड़ी की दृष्टि से देखा जाए तो दो बातें ज्यादा प्रसिद्ध हैं, एक तो इसके झरने और दूसरा शीशे की तरह साफ दिखने वाली नदियाँ । बाकी शिलाँग की पश्चिमी लाइफस्टाइल, रोमांच के नए मुकाम पर ले जानी वाली गुफाएँ या पेड़ की जड़ों से बने पुल इत्यादि मेघालय में घुम्मकड़ी को पूर्णता प्रदान करने वाले कुछ अतिरिक्त कारक हैं, जिन्हें लोग गाहे-बगाहे घूम लेते हैं ।

मेघालय क्यों घूमें?

मेघालय में घूमना मतलब हर क़दम पर प्रकृति की जादुई दुनिया से सम्मोहित होने जैसा है। गारो, ख़ासी और जयन्तिया की पहाड़ियों के बीच फैली इस धरती में जिधर नज़र घुमा लो उधर ही प्राकृतिक सुंदरता बिखरी पड़ी है। इतने कम क्षेत्र में प्रकृति की ऐसी अद्भुत चित्रकारी कम ही देखने को मिलती है । यहाँ पहुँचकर ऐसा लगता है जैसे भगवान ने एक बड़े कैनवास में चुन चुनकर रंग भर दिये हों, कहीं बादल के रूप में, कहीं झरनों के रूप में, कहीं नदियों के रूप में..झीलें, पहाड़ियाँ, जंगल, गुफाएँ, पेड़ की जड़ों से बने अद्भुत पुल, क्या नही है इस कैनवास में ।

seven sisters falls, sohra
सेवन सिस्टर्स फाल्स, चेरापूँजी

अगर मेघालय घूमने की वजह ही तलाशनी है तो निम्नलिखित बातों पर ग़ौर किया जा सकता है :

1. बादलों की आँखमिचौली : मेघालय को यूँ ही बादलों का घर नही कहते । यहाँ हर क़दम पर बादल आँखमिचौली करते मिल जाते हैं । चाहे वो गुवाहाटी-शिलाँग हाईवे हो या चेरापूँजी की पहाड़ियाँ, लाइलुम (Laitlum) का कैनयान हो या तुरा की गुफाएँ, बादलों के इस घर में आसमान में रुई के फाहों की तरह उड़ते बादल सिर्फ़ देखने के लिए नहीं हैं । मेघालय में आप उन बादलों को छू सकते हैं, उनसे लिपटकर उन्हें महसूस कर सकते हैं ।

2. बारिश और झरनों का शहर : मेघालय में स्थित चेरापूँजी (जिसे स्थानीय निवासी सोहरा के नाम से बुलाते हैं) को बारिश और झरनों का शहर कह सकते हैं । यह दुनिया का सबसे बारिश वाला क्षेत्र है, जहाँ बादल कभी भी कहीं भी बिना बताए बरस पड़ते हैं और जब बरसते हैं तो फिर झमाझम बरसते हैं । लेकिन यही तो ख़ूबसूरती है सोहरा की, बारिश के शहर में अगर बारिश ही नही देखी तो फिर दुनिया में सबसे ज़्यादा बारिश वाले स्थान पर क्या देखा?

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चेरापूँजी की घाटियों में उठते बादल

बारिश की अधिकता की वजह से चेरापूँजी के आस पास के क्षेत्रों में भव्य और विशाल झरनों की भरमार है । इनमें से कुछ झरने ऐसे हैं, जिन तक पहुँचना आसान है, इसलिए वो पर्यटकों की भीड़ से भरे रहते हैं । वहीं कुछ झरने ऐसे भी हैं, जो घने जंगलों में लोगों की नज़रों से दूर छुपे हुए हैं । उन तक पहुँचना ही अपने आप में एक रोमाँचक एहसास होता है ।

चेरापूँजी के अलावा जोवई की जयन्तिया पहाड़ियों में भी एक से बढ़कर एक सुंदर झरने हैं । असम की सीमा के आस पास गारो पहाड़ियों में भी मंत्रमुग्ध कर देने वाले झरनों की भरमार है ।

3. गुफ़ाओं का चमत्कारी संसार: बारिश और झरनों के सुंदर दृश्यों के अलावा मेघालय की अनगिनत अंधेरी गुफ़ाओं के अंदर भटकना रोमाँच का अद्भुत अनुभव प्रदान करता है। मेघालय में एशिया की सबसे लम्बी गुफाएँ हैं, जिनमें से कुछ तो ऐसी हैं जिनमें केवल रेंगकर या पानी में तैरकर प्रवेश किया जा सकता है । स्टैलेक्टाइट्स( Stalactites ) और स्टैलेग़माइट्स ( Stalagmites) की यह अनोखी दुनिया रोमाँच के साथ ही साथ लाखों वर्ष पुराने जीवाश्मों से रूबरू होने का अवसर भी प्रदान करती है ।

4. शीशे सी चमकती नदियाँ : जिस देश में सरकारें नदियों की साफ़-सफ़ाई के लिए विशेष बजट पास करती हों, उसी देश के एक हिस्से में नदियों का पानी इतना साफ़ है कि पानी बिलकुल पारदर्शी नज़र आता है । वैसे तो इनमें सबसे प्रसिद्ध है ख़ासी और जयन्तिया पहाड़ियों की सीमा रेखा बनाकर डावकी से गुज़रने वाली उनगोट नदी (Ungot River), जिसका पानी सर्दियों के मौसम में जब बारिश कम होती है, एकदम शीशे की तरह स्वच्छ नज़र आता है । इतना स्वच्छ की नदियों पर चल रही नावें हवा में टँगी हुयी प्रतीत होती हैं । मेघालय के बाक़ी हिस्सों में भी नदियाँ उनगोट की तरह पारदर्शी भले ना लगें, लेकिन फिर भी उनका सौंदर्य मन को मोहने वाला होता हैं ।

5. पवित्र जंगलों (Sacred Grooves) का प्रदेश : मेघालय की पहाड़ियों में फैले घने जंगलों के बीच ऐसे भी हिस्से हैं, जिन्हें स्थानीय समुदाय पवित्र मानकर उनकी पूजा करता है । ऐसी मान्यता है कि ये जंगल, जिन्हें पवित्र वन (Sacred Grooves) के नाम से जाना जाता है, अदृश्य देवताओं के निवास स्थान हैं और उन्हें किसी भी प्रकार से गंदा करना या हानि पहुँचाना एक भयानक अपराध है। कुछ जगह तो ऐसे पवित्र वनों में बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित है, लेकिन कई सारे पवित्र वनों में पर्यटकों को जाने की अनुमति है । ऐसे वनों से गुज़रते समय शोर करना, चिल्लाना, गंदगी करना, थूकना , पत्तियां या फूल तोड़ना इत्यादि पूर्णतया वर्जित होता है ।

6. पेड़ों की जड़ों से बने अद्भुत पुल (Root Bridges) : कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है । प्राचीन समय में मेघालय के स्थानीय निवासियों को बारिश के मौसम में उफ़नती नदियों को पार करके दूसरी तरफ़ पहुँचने में बड़ी कठिनाई होती थी । पहाड़ियों के बीच बहती इन नदियों का रौद्र रूप बहुतों को अपने आग़ोश में ले लेता था । इन दिक़्क़तों के बीच उनका ध्यान गया नदी के किनारों पर खड़े रबर के विशाल पेड़ों (Rubber Fig Tree, Ficus Elastica) पर । फिर हर बार नदी को पार करते समय उन्होंने इन पेड़ों की लचीली जड़ों को एक दूसरे में गूँथ कर एक प्राकृतिक पुल बनाने का अनोखा तरीक़ा निकाल लिया । मेघालय की ख़ासी पहाड़ियों में बहती नदियों पर पेड़ों की जड़ों से बने अद्भुत पुल इंसान की अदम्य इच्छाशक्ति और असीम कल्पना के जीते-जागते उदाहरण हैं ।

7. भव्य झीलें : नदियों और झरनों की तरह ही मेघालय में जगह-जगह मिलने वाली झीलों की ख़ूबसूरती देखते ही बनती है । मेघालय में सड़क मार्ग से प्रवेश करने वाले हर यात्री का यहाँ की प्राकृतिक ख़ूबसूरती से पहला साक्षात्कार विशाल और भव्य उमियम झील से ही होता है ।

8. परंपरा और संस्कृति का अनमोल संगम : मेघालय की ख़ूबसूरत पहाड़ियों में परम्परा और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है । इस राज्य की अधिकांश आबादी ईसाई धर्म को मानती है और हर रविवार को जन-जीवन थम सा जाता है । क़स्बों और शहरों में अंग्रेज़ी भाषा, पश्चिमी फ़ैशन और अंग्रेज़ी गानों का बोलबाला है, लेकिन ग्रामीण इलाक़ों में पारम्परिक परिधान और स्थानीय बोलियों की बहुतायत है । राज्य के पूर्वी हिस्से में स्थित जयन्तिया पहाड़ियों में हिंदू धर्म की प्रमुखता है । यहाँ नार्तियाँग (Nartiang) में स्थित जयंती माता मंदिर भारत के 51 पवित्र शक्तिपीठों में से एक है ।

9. मातृसत्तात्मक (मातृवंशीय)समाज : मेघालय के सामाजिक जीवन का सबसे अद्वितीय पहलू है यहाँ ख़ासी और गारो जनजातियों का मातृसत्तात्मक समाज (Matrilineal Society, not Matriarchal)। शादी के बाद ज़्यादातर मामलों में पति को पत्नी के घर जाकर रहना पड़ता है और बच्चों के नाम के साथ माता का पारिवारिक नाम (Surname) जोड़ा जाता है । पैतृक संपत्ति में ज़्यादातर हिस्सा घर की सबसे छोटी लड़की का होता है । समाज में महिलाओं को सम्मान की नज़र से देखा जाता है और शायद यही कारण है कि अकेली लड़कियाँ भी यहाँ बिना किसी दिक़्क़त के स्वच्छंद विचरण कर सकती हैं।

10. पश्चिमी संगीत की धुनें : मेघालय के युवाओं की रगों में पश्चिमी संगीत दौड़ता है और उनके पैर रॉक बैंड्स की धुनों पर थिरकते हैं । जयन्तिया की पहाड़ियों में सामान्यतः अक्टूबर के महीने के आयोजित होने वाला NH 7 वीकेंडर पूर्वोत्तर भारत ही नही बल्कि पूरे देश के प्रमुख रॉक म्यूज़िक फ़ेस्टिवल में से एक है ।

11. चमचमाती सड़कें: पूर्वोत्तर भारत के कई इलाक़ों में सड़कों की ख़स्ता हालत की वजह से घूमने की हिम्मत जुटाने के लिए पहले सोचना पड़ता है । लेकिन सौभाग्य से मेघालय की स्थित इस मामले में बहुत अच्छी है । यहाँ मुख्य क़स्बों या शहरों को जोड़े वाली सड़कें एकदम चकाचक हैं । दूरदराज़ के क्षेत्रों (उदाहरण के तौर पर मावकिरवाट, किनरेम झरना, रासिनी झरना इत्यादि) में सड़कों की हालत ख़राब तो हैं, लेकिन फिर भी प्रमुख पर्यटन स्थलों पर अपनी ख़ुद की छोटी कार (Low Ground Clearance) लेकर भी आराम से जाया जा सकता है ।

मेघालय घूमने का सबसे उपयुक्त समय

मेघालय की पहचान, इसका सारा आकर्षण इसकी विविधिताओं में है । बादल और बारिश, झरने और नदियाँ, पहाड़ियाँ और जंगल..मेघलाय घूमने के सबसे उपयुक्त समय को लेकर एक बड़ा विरोधाभास है । अगर आपको बादल और झरने पसंद हैं, तो मेघालय बारिश के मौसम में आना पड़ेगा । उस समय आने पर समझ आता है कि क्यों हमने किताबों में पढ़ा कि चेरापूंजी और आसपास के क्षेत्रों में दुनिया मे सबसे ज्यादा बरसात होती है । बरसात के मौसम में मेघालय के अनगिनत झरने अपने पूरे शबाब पर होते हैं और गीली सड़कों के किनारे फैली हरियाली दिल और दिमाग क्या आत्मा तक को प्रसन्न कर देती है । लेकिन बारिश में मेघालय की नदियाँ भी उफान पर होती हैं, इसलिए उनके पास पहुँचने पर शीशे से साफ पानी वाली विशेषता नजर नही आती है।

अगर आपको नदियों का शीशे सा साफ पानी देखना हो, कई सारे झरनों के नीचे बने प्राकृतिक स्वीमिंग पूल में नहाना हो, अपनी हर फ़ोटो में हरे और नीले रंग के शेड्स देखने हों, तो मेघालय घूमने का सबसे बेहतरीन समय सर्दियों में होता है । सर्दियों में भी जनवरी आते-आते झरने एक पतली लकीर में बदलने लगते हैं और नदियाँ छोटी लेकिन साफ़ सुथरी धाराओं में ।

कुल मिलाजुलाकर यदि आप मेघालय अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से दिसम्बर के आखिरी हफ्ते यानि कि दो महीनों के बीच में आ गए, तो आपकी यात्रा निश्चय ही यादगार रहेगी । अगर इन दो महीनों में आप मेघालय नहीं घूम पा रहे, तो फिर बारिश में घूमिये, आखिर मेघालय तो बादलों का घर है । गर्मियाँ मेघालय जैसे राज्य के लिए वास्तव में शुष्क होती हैं और हर तरफ पीलेपन की चादर सी छाई होती है ।

अगर आपको मेघालय के आसपास रहने का सौभाग्य मिल गया, तो फिर आप मेरी तरह इसके हर रूप-रंग को देख सकते हैं , बारिश, सर्दी और गर्मी में भी । हालांकि पिछले दो सालों में अपनी दसियों मेघालय यात्राओं में से अधिकाँश मैंने बारिश के दौरान ही सम्पन्न की, क्योंकि बादलों का घर मुझे बारिश में ही अच्छा लगता है । इतनी बार मेघालय के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर घूमने के बाद भी अभी तक अपने फोटोग्राफस में मुझे नीले और हरे रंग के शेड्स का इंतजार है । हाँ, झरनों को उनके पूरे शबाब पर देखने मे मैंने कोई कसर नही छोड़ी है । अभी तो मैं आपको मेघालय का बादलों वाला रूप ही दिखाऊंगा, लेकिन पूरी सम्भावना है कि इन सर्दियों में मेरे छायाचित्रों में हरे और नीले रंग नजर आने लगे ।

मेघालय की यात्रा के दौरान आप देखेंगे कि राज्य में कई सारे गाँवों के नाम, विशेषकर ख़ासी पहाड़ियों में, माव (Maw) या उम (Um) से शुरू होते हैं । माव का मतलब ख़ासी भाषा में पत्थर और उम का मतलब पानी होता है । इसलिए माव नाम वाले गाँवो के पास पहाड़ या पथरीली ज़मीन होती है और उम नाम वाले गाँवों के पास झील या नदी होती है ।

मेघालय कैसे पहुँचे?

किसी भी पर्यटक के लिए मेघालय पहुँचने के दो मुख्य प्रवेश द्वार हैं, पहला मेघालय की राजधानी शिलाँग और दूसरा असम की राजधानी गुवाहाटी (दिसपुर) । शिलाँग और गुवाहाटी के बीच की दूरी लगभग 100 किमी है । लेकिन दोनो शहरों की बाक़ी दुनिया से जुड़ाव के साधनों में बड़ा अंतर है । यहाँ मैं दोनों जगहों तक सीधे पहुँचने के विकल्प बताऊँगा :

शिलाँग : मेघालय में कही भी घूमने जाना हो, तो आपको सामान्यतः राजधानी शिलाँग तक पहुँचना पड़ता है । शिलाँग मेघालय के हर हिस्से तक पहुँचने का सबसे बड़ा गेटवे है । शिलाँग तक पहुँचने के निम्नलिखित विकल्प हैं:

हवाई मार्ग: शिलाँग शहर के केंद्र पुलिस बाज़ार से क़रीब 30 किमी दूर बारापानी में स्थित हवाई अड्डे के लिए प्रतिदिन कोलकाता से दो उड़ानें उपलब्ध हैं । क़रीब 75 सीटों वाले ये जहाज़ बहुत कम पर्यटकों के लिए ही मुफ़ीद होते हैं । इनके आने-जाने में शिलाँग के मौसम की बहुत बड़ी भूमिका रहती है और कई बार मौसम ख़राब होने पर इन जहाज़ों का आवागमन नही होता है । सिर्फ़ दो उड़ाने होने के कारण ज़्यादातर समय इनका किराया भी महँगा ही होता है । एयरपोर्ट से शहर तक पहुँचने के लिए रिज़र्व गाड़ियों के अलावा और कोई विकल्प नही है। मेघालय पर्यटन विभाग द्वारा फ़्लाइट के समय पर एक सवारी गाड़ी चलाई जाती है, जिसमें 28 सीटें होती हैं । इस गाड़ी में प्रति व्यक्ति किराया 100 रुपए है ।

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शिलाँग (बारापानी) हवाई अड्डा

रेल मार्ग: शिलाँग शहर तक कोई भी रेलवे लाइन नही है । यहाँ का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन गुवाहाटी ही है ।

सड़क मार्ग: सड़क मार्ग से शिलाँग जाने का विकल्प भी गुवाहाटी से ही होकर उपलब्ध है । लेकिन अगर आप मिज़ोरम या त्रिपुरा की यात्रा के बाद गुवाहाटी ना आकर सीधे शिलाँग पहुँचना चाहते हैं तो आइज़ाल या सिलचर से शिलाँग के लिए सीधी सूमो गाड़ियाँ मिल जाती हैं (प्रति व्यक्ति किराया क़रीब 900 रुपए आइज़ाल से और 400 रुपए सिलचर से) ।

गुवाहाटी : देखा जाए तो शिलाँग पहुँचने के लिए भी ज़्यादातर अच्छे और किफ़ायती विकल्प गुवाहाटी से ही उपलब्ध है । सिर्फ़ 100 किमी की दूरी होने के कारण गुवाहाटी से शिलाँग पहुँचना बहुत ही आसान है । गुवाहाटी रेल, सड़क और हवाई मार्ग द्वारा पूरे देश से जुड़ा हुआ है। चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, मुंबई, कोलकाता, जयपुर, अहमदाबाद, नई दिल्ली जैसे शहरों से गुवाहाटी के लिए सीधी उड़ाने उपलब्ध है। इसी तरह गुवाहाटी के लिए देश के हर कोने ने कई सारी रेलगाड़ियाँ भी चलती हैं । इसलिए बेहतर है कि मेघालय घूमने के लिए सबसे पहले गुवाहाटी ही पहुँचा जाए ।

गुवाहाटी से शिलाँग कैसे पहुँचे?

गुवाहाटी से शिलाँग जाने के लिए दो विकल्प उपलब्ध हैं :

हेलीकॉप्टर द्वारा : गुवाहाटी से शिलाँग की यात्रा हेलीकॉप्टर द्वारा मात्र आधे घंटे में पूरी हो सकती है । लेकिन 4-5 सीटों वाले हेलीकॉप्टर की सुविधा व्यापक तौर पर नही प्रयोग की जा सकती है । ज़्यादातर समय हेलीकॉप्टर की उड़ान भी मौसम के मिज़ाज पर निर्भर करती है, जो शिलाँग में कभी भी ख़राब हो सकता है । गुवाहाटी से शिलाँग का एक तरफ़ का प्रति व्यक्ति किराया 1500 रुपए है ।

गुवाहाटी में हेलीपैड एयरपोर्ट के पास है, जबकि शिलाँग में एयरपोर्ट शिलाँग कैंट में एलिफ़ेंट फाल्स से क़रीब आधा किमी पहले (पुलिस बाज़ार से क़रीब 12 किमी दूर)  है । हेलीकॉप्टर की बुकिंग गुवाहाटी हवाई अड्डे से की जा सकती है । हेलीकॉप्टर सेवा रविवार को बंद रहती है । गुवाहाटी से तुरा के लिए भी सप्ताह में तीन-चार दिन हेलीकॉप्टर की सुविधा उपलब्ध है । गुवाहाटी से तुरा हेलीकॉप्टर द्वारा एक घंटे में पहुँच सकते हैं।

सड़क मार्ग द्वारा : सामान्य तौर पर किसी भी दिन, किसी भी समय शिलाँग पहुँचने का सबसे अच्छा विकल्प गुवाहाटी से सड़क मार्ग द्वारा जाना है । गुवाहाटी से शिलाँग की सड़क यात्रा के लिए कई तरह के साधन उपलब्ध हैं :

1. रिज़र्व गाड़ियाँ: गुवाहाटी एयरपोर्ट या गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते ही कई सारी गाड़ियाँ जैसे मारुति 800, आल्टो, स्विफ्ट डिज़ायर जैसी गाड़ियाँ किराए पर ली जा सकती हैं । थोड़ा बड़ी और आरामदायक गाड़ियाँ जैसे इन्नोवा, सियाज़, ब्रीज़ा , ज़ाइलो इत्यादि के लिए पहले से ही किसी टूर एजेंट के ज़रिए बुकिंग करनी पड़ती है । गुवाहाटी से शिलाँग का रिज़र्व गाड़ी का किराया 1600 रुपए ( मारुति 800, 3 सीट) से लेकर 6000 रुपए (इन्नोवा, 6 सीट) तक हो सकता है । शिलाँग के अलावा आस-पास घूमने के लिए इन्नोवा 4500-5500 रुपए प्रतिदिन के किराए पर भी मिल सकती है । प्रतिदिन के हिसाब से स्विफ्ट डिज़ायर को रिज़र्व करने पर 3000-3500 रुपए तक का किराया लग सकता है ।

2. शेयर्ड गाड़ियाँ: शिलाँग जाने वाली शेयर्ड गाड़ियाँ पकड़ने के लिए गुवाहाटी में तीन प्रमुख स्थान हैं:

गुवाहाटी एयरपोर्ट का पार्किंग क्षेत्र: एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग से बाहर निकलकर पार्किंग क्षेत्र की तरफ़ पहुँचते ही शिलाँग -शिलाँग चिल्लाते टैक्सी ड्राइवर मिल जाते हैं । इनमें से कई सारे ऐसे टैक्सी चालक भी होते हैं, जो कि शिलाँग से किसी यात्री को गुवाहाटी एयरपोर्ट छोड़ने आए होते हैं और वापसी में कोई सवारी ना होने पर एयरपोर्ट से औरों को बैठा लेते हैं । ड्राइवरों से सुरक्षा को लेकर इधर कोई ख़तरा नही है, इसलिए आप आराम से इन टैक्सियों में बैठ सकते हैं । गुवाहाटी से शिलाँग इस प्रकार की सवारी टैक्सी का प्रति व्यक्ति किराया 500 रुपए है । सुबह 10 बजे से शाम 8 बजे तक ऐसी टैक्सियाँ आराम से मिल जाती हैं ।

एयरपोर्ट से शिलाँग के लिए मेघालय पर्यटन विभाग द्वारा दोपहर में दो बार टाटा विंगर गाड़ियाँ चलाई जाती हैं, पहली गाड़ी गुवाहाटी एयरपोर्ट से दोपहर 2 बजे और दूसरी चार बजे प्रस्थान करती है । इनका किराया प्रति व्यक्ति 450 रुपए है ।

खानापाड़ा का बस/जीप स्टैंड : गुवाहाटी की बाहरी सीमा में राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित खानापाड़ा से शिलाँग (तेज़पुर, जोरहाट, दीमापुर इत्यादि भी) के लिए सूमो या टेम्पो ट्रैवेलेर गाड़ियाँ मिलती हैं । खानापाड़ा पहुँचने के लिए गुवाहाटी में जालुक़बारी स्टैंड से शेयर्ड ऑटो मिलते हैं । जालुक़बारी से खानापाड़ा के लिए सवारी बसें भी चलती है, लेकिन यह बसें शहर में कामाख्या, पलटन बाज़ार, जी एस रोड, सिक्स माईल इत्यादि घूमते-घामते खानापाड़ा पहुँचने में बहुत समय लेती हैं। खानापाड़ा से शिलाँग तक सूमो का प्रति व्यक्ति किराया 170 रुपए है ।

पलटन बाज़ार का क्षेत्र: गुवाहाटी स्टेशन से बाहर निकलकर पलटन बाज़ार में स्थित गोल्ड डिजीटल सिनेमा की ओर बढ़ने पर स्टेशन के बाहरी हिस्से से लेकर गोल्ड सिनेमा तक सड़क किनारे स्थित स्टैंड से शिलाँग के लिए टैक्सी या सूमो गाड़ियाँ मिलती हैं । सूमो का प्रति व्यक्ति किराया 170 रुपए से 200 रुपए तक होता है ।

3. पब्लिक बसें : गुवाहाटी से शिलाँग के लिए असम परिवहन विभाग की दिन भर में कई बसें चलती हैं, जिन्हें गारचुक के पास स्थित आइ एस बी टी (तिरुपति श्री बालाजी मंदिर के बग़ल में ) से पकड़ा जा सकता है । आइ एस बी टी जालुक़बारी से खानापाड़ा वाले मुख्य मार्ग पर ही स्थित है । यहाँ से शिलाँग के लिए दिन भर में 3-4 प्राइवेट बसें भी मिलती हैं ।इन बसों का किराया प्रति व्यक्ति 120 रुपए होता है, लेकिन इनकी संख्या इतनी कम होती है कि गुवाहाटी से शिलाँग के लिए लोग इन पर निर्भर रहने के बजाय सूमो या टैक्सी से ही जाना पसंद करते हैं ।

ISBT Guwahati
आई एस बी टी, गुवाहाटी

4. ओला/ ऊबर की सेवायें : गुवाहाटी से शिलाँग के बीच ओला आउटस्टेशन का दोनों तरफ़ का किराया प्रति कार 3200 रुपए (हैचबैक, जैसे मारुति आल्टो) से 3700 रुपए (सिडान, जैसे स्विफ्ट डिज़ायर) रुपए है । यह सुविधा सिर्फ़ एक तरफ़ के लिए उपलब्ध नही है ।

ऊबर में सिर्फ़ एक तरफ़ आने या जाने की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन इसका प्रति कार किराया 2200 रुपए से 2500 रुपए तक पड़ता है ।

5. ज़ूम कार (Zoom Car) : अगर आपको गाड़ी चलाने का शौक़ है तो गुवाहाटी एयरपोर्ट पर ज़ूम कार की सुविधा उपलब्ध है । यहाँ से सेल्फ़-ड्राइव कार लेकर आप कहीं भी आ जा सकते हैं । ज़ूम कार का ऑफ़िस एयरपोर्ट से लगभग आधा किमी दूर है । सेल्फ़-ड्राइव कार का चुनाव करने के लिए क्रेटा, बलेनो, आई 20, ईकोस्पोर्ट, ब्रीज़ा जैसी गाड़ियाँ उपलब्ध हैं ।

pineapple shop near nongpoh
नोंगपोह के पास मिलते अनानास

नोट : 1. गुवाहाटी से शिलाँग जाते समय रास्ते में नोंगपोह के पहले सड़क के किनारे लगी हुई झोपड़ीनुमा दुकानों में अनानास (Pineapple) का बेहतरीन स्वाद मिलता है ।

2. कोई भी सवारी गाड़ी आप गुवाहाटी में किसी भी स्थान से पकड़ें, शिलाँग पहुँचकर ज्यादातर गाड़ियाँ मुख्यतः पुलिस बाज़ार के पास ही छोड़ती हैं। सवारी बसों का बस स्टैंड भी वही हैं ।

3. शिलाँग से गुवाहाटी आते समय शेयर्ड सूमो शिलाँग में अंजली पॉइंट से मिलती हैं ।

मेघालय में पब्लिक ट्रांसपोर्ट

एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचने के लिए मेघालय में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बेहतरीन व्यवस्था है । घूमने के लिहाज़ से मेघालय में पहुँचने वाले पर्यटकों के पास निम्नलिखित विकल्प होते हैं:

1. शेयर्ड जीप : पीले रंग की सूमो गाड़ियाँ मेघालय में एक पर्यटन स्थल से दूसरे तक पहुँचने का सबसे प्रमुख विकल्प हैं । यह गाड़ियाँ मेघालय के हर बड़े क़स्बे को शिलाँग से जोड़ती हैं । मेघालय से परे नागालैंड में कोहिमा, मिज़ोरम में आइजाल, असम में गुवाहाटी या सिलचर इत्यादि के लिए भी सवारी जीपें आराम से मिल जाती हैं ।

2. छोटी कारें जैसे मारुति 800 या आल्टो : एक क़स्बे से दूसरे क़स्बे तक आने-जाने के लिए तो सूमो मिल जाएँगी, लेकिन किसी क़स्बे में पहुँच जाने के बाद आस पास के पर्यटन स्थलों पर घूमने के लिए छोटी कारों का प्रयोग करना पड़ेगा । काले-पीले रंग में रंगी ये कारें सवारी गाड़ियों की तरह ही चलती हैं । सड़क किनारे से किसी भी काली-पीली कार को हाथ हिलाकर रोक सकते हैं और फिर अपने गंतव्य तक 10-20 रुपए में पहुँच सकते हैं, बस शर्त यही है कि वो कार उधर जाती हो । अकेले जाना है तो कार को रिज़र्व भी कर सकते हैं ।

ISBT Shillong
आई एस बी टी, शिलाँग

शिलाँग शहर के अंदर घूमने के लिए स्थानीय सवारी बसों का प्रयोग भी कर सकते हैं । किसी क़स्बे के आसपास घूमने के लिए सूमो इत्यादि भी रिज़र्व कर सकते हैं, लेकिन उनकी उपलब्धता सीमित ही है । इसलिए कही भी पहुँचने के बाद आसपास घूमने का सबसे बेहतरीन विकल्प छोटी कारें ही हैं ।

मेघालय में बाइक रेंटल

शिलाँग में मेघालय के अन्य हिस्सों में घूमने के लिए बाइक और स्कूटी किराये पर देने वाली कई एजेंसियां मौजूद हैं । आमतौर पर यहाँ बाइक किराये पर लेने का एक दिन का किराया करीब 800 रूपये और स्कूटी का एक दिन का किराया करीब 400 रूपये है । चूँकि मेघालय के मुख्य हिस्सों में सड़कों की स्थिति बहुत ही उम्दा है, इसलिए किराये के दुपहिया वाहन से घूमने में बड़ा मजा आता है ।

मेघालय के पर्यटन स्थल

मेघालय को घूमने के लिहाज से मुख्य रूप से इन क्षेत्रों में बांटा जा सकता है :

1. खासी पहाड़ियों के पर्यटन स्थल : इसे आप मेघालय का दिल भी समझ सकते हैं । मेघालय जाने वाले हर पर्यटक की नजर बस इसी क्षेत्र के पर्यटन स्थलों पर होती हैं । जिसमे शिलाँग , सोहरा (चेरापूँजी), नोंग्रियात (Nongriat, रूट ब्रिज), मावसिनराम, मावलिननांग (Mawlynnong, एशिया के सबसे साफ़-सुथरे गाँव के रूप में प्रसिद्ध) जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल है । अन्य छोटे आकर्षक स्थलों में लाइलुम कैनयान (Laitlum Canyon) , स्मित गाँव (Smit Village) , मावफनलुर (Mawphanlur, छोटा सा ख़ूबसूरत गाँव) , मावफ्लाँग सैक्रेड ग्रूव (Mawphlang Sacred Grooves, पवित्र जंगल) इत्यादि का नाम शामिल है ।

Shillong City
शिलाँग पीक से दिखता शहर

ख़ासी पहाड़ियों का यह क्षेत्र एक बड़े इलाक़े में फैला हुआ है । यहाँ घूमने के लिए सोहरा और शिलाँग दोनों जगहों पर कुछ दिन रहना होगा । कुछ जगहों तक पहुँचने के लिए सोहरा से दुबारा वापस शिलाँग आना होगा, ताकि शिलाँग से फिर दूसरी जगह की सवारी गाड़ी पकड़ सकें ।

मेघालय के छोटे से स्वर्ग मावफनलुर के बारे में यहाँ पढ़ सकते हैं: Mawphanlur Village in Meghalaya

2. जयन्तिया पहाड़ियों के पर्यटन स्थल : जयन्तिया की पहाड़ियाँ शिलाँग के पूर्व में स्थित जोवई के आसपास के क्षेत्रों से शुरू होती हैं, जिसे सामान्यतया पश्चिमी जयन्तिया हिल्स ज़िला बोलते हैं । जयन्तिया पहाड़ियों के प्रमुख पर्यटन स्थलों में जोवई और आस पास के क्षेत्र, नार्तियाँग में जयन्ती माता मंदिर, क्रांग सूरी झरना (Krang Suri Falls) , वहराशी झरना (Wahrashi Falls) , डावकी (उनगोट नदी में नाव की सवारी और तम्बिल Tamabil में भारत-बांग्लादेश सीमा), श्नोनग़पडेंग ( Shnongpdeng, शीशे जैसी साफ़ नदी) इत्यादि शामिल हैं ।

जयन्तिया पहाड़ियों का सबसे प्रमुख पर्यटन स्थान डावकी (Dawki) है, जहाँ शिलाँग से पहुँचना ज़्यादा आसान है । बाक़ी क्षेत्र को खँगालने के लिए जोवई को अपना बेस बनाना पड़ेगा ।

3. गारो पहाड़ियों के पर्यटन स्थल: यह मेघालय का सबसे कम घूमा जाने वाला क्षेत्र है । अगर अंधेरे में भटकने के बाद की सुरक्षा या स्थानीय लोगों के रूखे व्यवहार के लिहाज़ से समझें तो यह घुमक्कड़ी के लिए मेघालय का सबसे प्रतिकूल इलाक़ा है, जहाँ आपको मेघालय के बाक़ी हिस्सों की तुलना में ज़्यादा सावधानी बरतने की ज़रूरत पड़ेगी । गारो पहाड़ियों के पर्यटन स्थलों में तुरा (Tura) , विलियम नगर (Williamnagar) , सेजू गुफ़ा ( Seju Cave) जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल हैं ।

इस इलाक़े में मेरा अनुभव बस असम के सीमावर्ती 2-4 जगहों तक ही सीमित है, इसलिए यह बात मैं पूरे दावे के साथ नही कह सकता। गुवाहाटी में स्थानीय दोस्तों से बात करने के बाद अब तक की मेरी राय यही है। भविष्य में इस हिस्से में थोड़ा और घूम लेने के बाद ही मैं स्पष्ट रूप से कुछ कह सकूँगा। गारो पहाड़ियों में घूमने के लिए तुरा या विलियम नगर को बेस बनाना पड़ेगा । शिलाँग से तुरा का राजमार्ग पर मैंने नोंगस्टाइन तक गाड़ी दौड़ाई हुयी है और यह बहुत ही बेहतरीन स्थिति में है ।

मेघालय में होटल और गेस्ट हाउस

मेघालय की ख़ासी पहाड़ियों में पर्यटकों का आवागमन ज़्यादा होता है, इसलिए वहाँ लगभग हर क्षेत्र में रात्रि विश्राम के लिए होटल, गेस्ट हाउस और होमस्टे पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं । शिलाँग के अलावा चेरापूँजी घूमने के लिए चेरापूँजी, रूट ब्रिज ट्रेकिंग के समय तिरना और नोंग्रियात गाँव, एशिया के सबसे स्वच्छ गाँव के रूप में प्रसिद्ध मावलिननांग इत्यादि में होटल पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं । कुछ कम लोकप्रिय पर्यटक स्थलों जैसे स्मित गाँव, मावफनलुर (छोटा सा ख़ूबसूरत गाँव) , मावफ्लाँग सैक्रेड ग्रूव (पवित्र जंगल), मवसिनराम इत्यादि में रात्रि विश्राम के विकल्प सीमित संख्या में उपलब्ध हैं ।

जयन्तिया पहाड़ियों में जोवई- क्रांग सूरी झरना – श्नोनग़पडेंग- डावकी वाले सर्किट में होटल और गेस्ट हाउस की कोई दिक़्क़त नही है । जोवई क़स्बे में तो 2-3 साधारण से होटल हैं, लेकिन क़स्बे से क़रीब 10 किमी पहले थडलेस्कीन झील (Thadlaskein Lake) के पास 4-5 बहुत ही बढ़िया होटल हैं । जोवई से डावकी के रास्ते पर आगे बढ़ने पर जरैन (Jarain) में होमेस्टे हैं, लेकिन अँधेरा होने पर उन घरों तक पहुँचना कठिन हो सकता है ।

उसके आगे क्रांग-सूरी में मुख्य सड़क पर एक बहुत ही साधारण सा होमेस्टे है, जहाँ सुविधा के हिसाब से दाम बहुत ज़्यादा है और खाना मिलने में दिक़्क़त हो सकती है । थोड़ा सा परेशानी उठाकर अगर आप आगे क्रांग-सूरी झरने तक पहुँच जाते हैं, तो फिर वहाँ कैम्पिंग और बैम्बू हाउस के बेहतरीन विकल्प उपलब्ध हैं । क्रांग-सूरी के बाद होटल डावकी या श्नोनग़पडेंग में उपलबद्ध हैं । उसमें भी श्नोनग़पडेंग में रुकना ज़्यादा बेहतर है, हालाँकि रात के समय उस तरफ़ के पतले रास्ते पर ड्राइविंग में दिक़्क़त आ सकती है ।

गारो पहाड़ियों में तुरा और विलियमनगर क़स्बे में रुकने के विकल्प मौजूद हैं, लेकिन सुदूर क्षेत्रों में रात्रि विश्राम के लिए कुछ मिलने में दिक़्क़त हो सकती है । इसलिए बेहतर यही होगा कि तुरा या विलियमनगर को अपना बेस बनाकर आसपास की यात्रा की जाए ।

police bazar shilong
शिलाँग का पुलिस बाज़ार

मेघालय के ज़्यादातर हिस्सों में होटल और गेस्ट हाउस के किराए पहली बार में तगड़ा झटका देते हैं, विशेष तौर से उन लोगों को जिन्होंने उत्तराखंड या हिमाचल प्रदेश के दूर दराज़ के क्षेत्रों में बेहतरीन होमस्टे में रुकने का अनुभव किया हो । शिलाँग में तो हर तरह के विकल्प मौजूद हैं, लेकिन अन्य जगहों पर साधारण से दिखने वाले होमेस्टे का किराया दो यात्रियों के लिए प्रति रात्रि कम से कम 1000 रुपए होगा । इनसे अच्छे होमस्टे और गेस्ट हाउस उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश इत्यादि में 500-700 रुपए में मिल जाते हैं । थोड़ा प्रसिद्ध और अच्छी स्थिति वाले होमस्टे का किराया प्रति रात्रि कम से कम 2000 रुपए और अच्छे होटलों का किराया प्रति रात्रि क़रीब 3000 रुपए होता है । हो सकता है आपकी क़िस्मत अच्छी होने पर थोड़ा कम किराए वाले कमरे भी मिल जाएँ । मेघालय के ज़्यादातर हिस्सों में मोलभाव की गुंजाइश बहुत ही कम होती है, कई बार तो बेरुख़ी से सीधे ना सुनने को मिल सकता है।

वैसे कई प्रमुख पर्यटन स्थलों पर कैम्पिंग का प्रचलन भी है, जहाँ दो व्यक्तियों का एक टेंट का किराया प्रति रात्रि 500 रुपए से 700 रुपए तक होता है । क्रांग-सूरी झरने के पास वाले कैम्प में प्रति रात्रि प्रति व्यक्ति किराया 1000 रुपए है, जिसमें लंच, डिनर, ब्रेकफ़ास्ट और कैमरे के साथ क्रांग-सूरी का प्रवेश शुल्क भी शामिल है। ज़्यादातर जगहों पर स्थानीय ग्राम पंचायत से अनुमति लेकर किसी ख़ाली ज़मीन पर ख़ुद का टेंट भी लगाया जा सकता है, जिसका प्रति रात्रि किराया 100-500 रुपए तक होता है ।

मेघालय में शाकाहारी खाने की उपलब्धता

मेघालय की अधिकांश आबादी माँसाहारी है । यहाँ सूअर के माँस का प्रचलन बहुत ज्यादा है । इन सबके बारे में पढ़कर पर्यटकों को लगता है कि यहाँ शाकाहारी खाना मिलना कठिन है । लेकिन वास्तविकता में ऐसी कोई दिक्कत नहीं है । चावल, दाल और सब्जी तो हर जगह मिलती है । बड़े कस्बों में तो रोटी भी आसानी से मिल जाती है । वैसे उत्तर-पूर्व के लोग मसालेदार खाने के शौक़ीन नहीं हैं , तो हो सकता है सब्जी वगैरह बिना मसालों वाली और सिर्फ उबाल के मिल जाये । सड़क किनारे के ढाबों पर मिल रही दूध की चाय भी बहुत अच्छी होती है ।

मेघालय की सबसे सटीक यात्रा योजना

मेघालय की सबसे सटीक यात्रा योजना में क्या करें? ख़ासी पहाड़ियों को छोड़ दें तो मेघालय का ज़्यादातर क्षेत्र आज भी पर्यटन मानचित्र पर अछूता ही है । जोवई के परे जयन्तिया पहाड़ियाँ और गारो पहाड़ियों के अधिकांश क्षेत्रों में कोई भी पर्यटक नही जाता । ज़्यादातर लोगों के लिए मेघालय का मतलब शिलाँग , चेरापूंजी और डावकी ही है । इसको ध्यान में रखते हुए मेघालय के सबसे बेहतरीन अनुभव के लिए मेरी सलाह यही रहेगी कि आप शिलाँग से शुरूकर चेरापूंजी के आस पास के इलाक़े घूम लें। फिर वहाँ से शिलाँग वापस आकर डावकी निकल जाएँ और उधर के क्षेत्रों का कुछ अनुभव ले लें। हो सके तो डावकी से क्रांग सूरी झरना देखते हुए जोवई के रास्ते वापसी करके शिलाँग पहुँच जाएँ । इस तरह आप मेघालय के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के यादगार अनुभव ले सकेंगे ।

शिलाँग -चेरापूंजी-डावकी-क्रांग सूरी-जोवई-शिलाँग की इस पूरी यात्रा में आप दो दिन भी लगा सकते हैं और दस दिन भी । बहुत सारे लोग तो शिलाँग से मेघालय पर्यटन विभाग की पर्यटन बस पकड़कर एक दिन चेरापूंजी की तरफ़ और दूसरे दिन डावकी की तरफ़ घूमकर अपनी मेघालय यात्रा की इतिश्री कर डालते हैं । मेघालय भारत के सबसे सुंदर राज्यों में से एक है, ख़ास तौर से बारिश के दिनों में । जब आप वहाँ घूमने जाएँ तो कम से कम एक हफ़्ते का समय ज़रूर निकाल लें । इस एक हफ़्ते में आप शिलाँग -चेरापूंजी-डावकी-क्रांग सूरी-जोवई-शिलाँग वाला चक्कर बड़े आराम से पूरा कर सकते हैं और यकीन मानिए कि वह अनुभव ताउम्र याद रहने वाला रहेगा। बाक़ी घूमने वाले तो दो दिन, चार दिन में भी मेघालय घूमकर निकल लेते हैं ।

इस पोस्ट में मैंने मेघालय के प्रमुख पर्यटन स्थलों और शिलाँग तक पहुँचने के साधनों के बारे में बताया, ताकि यदि आप मेघालय यात्रा की तैयारी कर रहें हो तो योजना बनाने में सुविधा हो सके । अपनी आगामी पोस्टों में मैं पूरब के स्कॉटलैंड शिलाँग , बादलों और झरनों के शहर सोहरा (चेरापूँजी), शीशे जैसी साफ़ बहने वाली उनगोट नदी के साथ-साथ मेघालय के कुछ ऐसे हिस्सों के बारे में बताऊँगा जिनकी ख़ूबसूरती आज भी सपनों सरीखी ही लगती है । स्वागत है आप सबका मेघालय की बादलों भरी दुनिया में ।

This Post Has 8 Comments

  1. Pratik Gandhi

    क्या बात है भाई मेघालय पे complete detail लिख दी है आपने…यह तो मेघालय की dictionary हो गयी कि जब भी मेघालय जाना है बस इसे देख लो जिसे जाना है…
    बादलो की आंख मिचौली के शहर जाने की बेहतरीन जानकारी और लेख

  2. Mukesh Pandey

    अरे वाह, मेघालय के बारे वो सब कुछ जो किसी घुमक्कड़ को चाहिए । बहुत ही बढ़िया । मजा आ गया । आभार

  3. Kamal Kumar Jain

    सर, मे भी मेघालय घूमने का rogramme बना रहा हूं. आपने जो विस्तृत जानकारी दी है उससे बहुत लाभ मिलेगा. बहुत बहुत धन्यवाद.

    1. Solo Backpacker

      मेघालय में आपका स्वागत है। कोई सहायता चाहिए होगी तो सूचित करिएगा । आपकी यात्रा शुभ हो। 🙂

      1. Ashish Kumar

        Aap kya help kar sakte hai.

        1. Solo Backpacker

          क्या help चाहिए आपको?

  4. Prafull Mohod

    Sir मैं 28 मे से 3 जून तक मेघालय tour पे हू. इस समय temp कैसे रहेगा. Warm clothes लेणे पडेगे क्या. बारिश रहेगी क्या

    1. Solo Backpacker

      मौसम अच्छा है अभी तो । यहाँ तो बारिश कभी भी हो सकती है । आजकल लगभग रोज ही हो रही है । बारिश होने से मौसम सुहाना रहता है , नहीं तो दिन मे गर्मी रहती है ।

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