ट्रांस-साइबेरियन रेल यात्रा को तो छोड़िए, मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि मैं इतनी जल्दी रूस घूमने पहुँच जाऊंगा। रूस तो कभी मेरी प्राथमिकता में था ही नहीं। दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य-पूर्व एशिया का जादू मुझे हमेशा कहीं और जाने से रोक देता है। मेरी प्राथमिकता में तो इंडोनेशिया, वियतनाम, चीन, जॉर्डन और इजराइल जैसे देश हैं, शायद यही वजह है कि मैं अभी यूरोप और अमेरिका की तरफ जाने की नही सोच रहा। ये देश महंगे भी लगते हैं, लेकिन महंगाई से ज्यादा मेरी पसंद की बात है। मुझे एशिया ज्यादा अच्छा लगता है, कारण जो भी हो। शायद अपनी विभिन्नताओं की वजह से।

खैर, अपनी रूस यात्रा पर आता हूँ। एक दिन ऐसे ही अपने ऑफिस में काम करते हुए मेरी नजर अचानक से ट्रांसएयरो की एक फ्लाइट पर पड़ी। ट्रांसएयरो दिल्ली में ? इस उत्सुक मन ने अपना काम शुरू कर दिया और तब मुझे एक किराया मिला, दिल्ली- सेंट पीटर्सबर्ग – दिल्ली , मात्र 14900 रूपये में। बस दो-तीन के अंदर मैंने वो टिकट बुक कर ली और इस तरह से मेरी रूस यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई।

मॉस्को में ट्रांसऐरो का एक जहाज
मॉस्को में ट्रांसएयरो का एक जहाज

अब मुझे रूस के विशाल फैलाव में से अपने लायक शहर चुनने थे, जहां मैं 15- दिन के लिए घूम फिर सकूँ। ये काम बहुत ही मुश्किल था। मॉस्को, सेंट पीटर्सबर्ग और बैकाल झील को लेकर कोई संशय नहीं था। लेकिन कज़ान, निज़नी नोवगोरोड, सोची , वोल्गोग्राद, येकातेरिनबर्ग , व्लाडिवॉस्टॉक और इर्कुत्स्क जैसे कई शहरों से सिर्फ 2 -3 शहरों को चुनना बहुत ही कठिन था और दूसरी दिक्क्त इन शहरों के बीच की ज्यादा दूरी भी थी, जैसे मॉस्को से बैकाल झील ट्रेन द्वारा पहुँचने में 4 -5 दिन लग जाते हैं। कुल मिलाकर दिमाग बहुत उलझन में फँस गया था। सोची के बेहतरीन समुद्र तट, साइबेरिया का जादू, कज़ान की सांस्कृतिक विरासत, वोल्गोग्राद की वोल्गा, काकेकस में ट्रेकिंग, काला सागर (Black Sea) घूमने की इच्छा, इन सभी के लिए 15 दिन तो बहुत ही कम थे। रूस के वीजा आवेदन की एक शर्त है कि आपके आवेदन के साथ वहाँ की किसी ट्रेवल एजेंसी का बुलावा पत्र भी होना चाहिए। इसमें आपकी सारी जानकारी , आपके घूमने के स्थान और आपके होटल की पूरी जानकारी शामिल होती है। इस पत्र को पाने के लिए मुझे अपने घूमने के स्थान जल्दी से सुनिश्चित करने थे। बहुत खोजबीन के बाद मैंने मॉस्को , सेंट पीटर्सबर्ग, निज़नी नोवगोरोड और कज़ान घूमने का निश्चय किया।

बैकाल झील
बैकाल झील

वैसे तो मैंने ये स्थान निश्चित कर लिए और वहाँ हॉस्टल्स की बुकिंग भी कर ली, ताकि आमंत्रण पत्र जल्दी से मिल जाये , लेकिन मन अंदर से बिलकुल भी खुश नहीं था। एक नए देश की यात्रा करनी थी , लेकिन वो उत्साह नहीं आ रहा था , जो हर बार नयी जगह घूमने के विचार से ही आ जाता है। फिर मैंने सोचा की स्कूबा डाइविंग या ट्रेकिंग का भी प्लान कर लेता हूँ, ताकि इस यात्रा में कुछ रोमांच आ सके। ट्रेकिंग के लिए सबसे बेहतरीन विकल्प काकेकस पहाड़ थे, लेकिन वह सारा क्षेत्र आजकल बुरी तरह से आतंकवाद की चपेट में है, तो वो विकल्प तो अपने आप ही खत्म हो गया। फिर पता चला कि सफ़ेद समुद्र (White Sea ) में डाइविंग हो सकती है , तो दिमाग उधर चला गया। रूस की कड़ाके की ठण्ड में बर्फीले समुद्रों में डाइविंग के लिए Ice Diving Ceritifcation बहुत जरूरी है, जो कि मेरे पास नहीं है। फिलहाल डाइविंग का विकल्प भी कैंसिल हो गया।

इसी बीच मुझे रूस का वीजा भी मिल गया। वीजा आवेदन में वैसे तो चार ही शहरों का जिक्र था, लेकिन वीजा तो वीजा… एक बार हाथ लगने के बाद तो कुछ प्रतिबंधित क्षेत्रों को छोड़कर सारा देश ही खुला रहता है। दिमाग में उधेड़बुन तो चल ही रही थी , और इसी उधेड़बुन में लगे दिल ने कहा – चलो ट्रांस-साइबेरियन। ऐसा नहीं है कि ट्रांस-साइबेरियन मेरे दिमाग में पहले नहीं आया था। मेरी कोई ख़ास बकेट लिस्ट नहीं है, लेकिन फिर भी कुछ ऐसे स्थान और कुछ ऐसी यात्राएँ जरूर हैं, जिन्हें मैं अपने जीवनकाल में पूरा करना चाहूंगा। ट्रांस-साइबेरियन रेल यात्रा भी वैसी ही एक यात्रा थी। इस यात्रा को पूरा करने का सपना मैंने बहुत लम्बे समय से देखा हुआ था , लेकिन इसमें लगने वाले समय और खर्च के कारण कभी इस यात्रा की कोई जल्दबाजी नहीं रही।

अभी भी मुझे अपने 15-दिन बहुत कम लग रहे थे और खर्च का कोई अंदाजा नहीं था। फिर मैंने इसके बारे में गम्भीरतापूर्वक खोजबीन की। पहली ख़ुशी तब मिली, जब लगा कि ट्रांस-साइबेरियन उतनी भी मँहगी नहीं है , जितना मैं सोचता था। 15-दिन तो कम ही थे , लेकिन मुझे लगा कि अगर घुमक्कड़ी में उत्साह ही ना रहे, तो मजा कैसा ? ट्रांस-साइबेरियन रेल यात्रा को अपने प्लान में जोड़ने से ज्यादातर समय ट्रेन में ही बीतने वाला था और 2-3 शहर कम घूमना पड़ता , लेकिन फिर भी यह एक सपने के पूरा होने जैसा था।

ट्रांस-साइबेरियन रेल यात्रा की टिकट कैसे ख़रीदें? How to buy a train ticket for Trans-Siberian Rail Journey

मैंने ट्रांस-साइबेरियन रेल यात्रा के बारे में और जानकारी जुटाई। अगली समस्या आई इस यात्रा के पहले और आखिरी पड़ाव को निश्चित करने में… पूर्व से पश्चिम (व्लाडिवॉस्टॉक-मॉस्को) या फिर पश्चिम से पूर्व (मॉस्को-व्लाडिवॉस्टॉक) । मैं 8 मई को मॉस्को पहुँच रहा था और 9 मई को वहाँ विजय परेड का आयोजन था। 70वीं सालगिरह होने की वजह से इस बार परेड बहुत भव्य होने वाली थी। मैंने ट्रांस-साइबेरियन की टिकट चेक की , तो 9 मई को 60 प्रतिशत तक की छूट मिल रही थी। कुछ देर तक तो दिल में दुविधा बनी रही , लेकिन फिर मैंने सोचा कि विजय परेड तो देखनी ही है। अब अगर मैं 9 मई को मॉस्को में रुकता और 10 मई को ट्रांस-साइबेरियन की शुरुआत करता तो मुझे यात्रा समाप्त करते-करते 19-20 मई हो जाती। 22 मई को मेरी वापसी की टिकट थी , रूस के दूसरे छोर पर स्थित सेंट पीटर्सबर्ग से। अब 20 मई को व्लाडिवॉस्टॉक में रहकर मैं 22 मई को सेंट पीटर्सबर्ग से वापसी की फ्लाइट का खतरा नहीं लेना चाहता था।

मॉस्को में विजय परेड का एक दृश्य
मॉस्को में विजय परेड का एक दृश्य

बहुत सोच विचार के बाद मैंने इस यात्रा को व्लाडिवॉस्टॉक से मॉस्को की दिशा में करने का निश्चय किया और 10 मई को मॉस्को से व्लाडिवॉस्टॉक की फ्लाइट बुक कर ली। 12 मई को मुझे व्लाडिवॉस्टॉक से मॉस्को की दिशा में ट्रांस-साइबेरियन की यात्रा शुरू करनी थी। इस तरह 20 – 21 मई तक मैं मॉस्को वापस पहुँच जाता। मॉस्को से सेंट पीटर्सबर्ग हाई-स्पीड ट्रेन से मात्र 4 घंटे ही लगते हैं। यात्रा के आखिरी दिनों में 4-घंटे का यह सफ़र , 12 टाइम जोन की यात्रा कर व्लाडिवॉस्टॉक से सेंट पीटर्सबर्ग पहुँचने से तो अच्छा ही था । फिलहाल अब इस यात्रा में कोई दुविधा नहीं थी और मेरी ट्रांस-साइबेरियन यात्रा का स्टेज तैयार हो चुका था।

 साइबेरिया में ट्रांस-साइबेरियन ट्रेन
साइबेरिया में ट्रांस-साइबेरियन ट्रेन

ट्रांस-साइबेरियन रेलवे की यात्रा दुनिया के उन कुछ गिने-चुने मूल साहसिक कार्यों में से एक मानी जाती है, जिसे आप आज भी बड़े रोमांच के साथ पूरा करते हैं। 8 दिन लम्बी इस यात्रा में वैसे तो कोई जोखिम नहीं है, और यह एक आम रेल यात्रा की तरह ही है। लेकिन, जब आप मास्को या व्लादिवोस्टोक से ट्रेन में सवार होते हैं, तो यह समय के चंगुल में फँसने जैसा होता है। जब हम किसी हवाई जहाज में लम्बा सफ़र करते हैं , तो भी यह स्थिति इतनी भ्रामक नहीं होती है, क्योंकि तब हमें सिर्फ अपने गंतव्य के समय से ही मतलब होता है। लेकिन 8- दिन तक किसी ट्रेन में बीसियों गंतव्यों से गुजरते हुए , 12- टाइम जोन में समय का अंदाजा लगाना बहुत ही दिलचस्प है।

इस यात्रा के प्रथम चरण के सफ़र के अनुभव यहाँ पढ़ें:  ट्रांस -साइबेरियन रेल यात्रा में व्लादिवोस्टोक से उलान उदे का सफ़र

12 टाइम जोन का यह सफ़र, जहाँ हर समय मॉस्को के स्थानीय समय से निर्धारित होता है , वाकई काफ़ी भ्रम में डालने वाला है। आपके टिकट में व्लाडिवॉस्टॉक से ट्रेन का प्रस्थान समय शाम को 4 बजे है, तो आपको पता होना चाहिए कि यह मॉस्को का स्थानीय समय है , यानि व्लाडिवॉस्टॉक के स्थानीय समय के मुताबिक आपकी ट्रेन रात 11.30 के आसपास चलेगी। रास्ते में स्टेशनों पर लगी घड़ी में भी मॉस्को का समय ही दिखता है। इसका मतलब अगर किसी स्टेशन पर आपको स्थानीय समय जानना है , तो आपको उसके और मॉस्को के समय का अंतराल पता होना चाहिए। रूस जैसे देश में जहाँ अँधेरा 9 बजे के बाद होता है, यह स्थिति और भी भ्रमित करने वाली होती है। 8- दिन के इस सफ़र में समय का अन्दाजा लगाना ही एक रोमांचक कार्य बन जाता है। इसके लिए सबसे सही तरीका है कि आपके पास स्थानीय समय में ट्रेन का समय बताने वाली समय सारिणी हो, ताकि आपको कम से कम समय का सही पता चलता रहे।

व्लादिवोस्टोक में यात्रा की दूरी बताने वाला 9288 किमी का स्तम्भ
व्लाडिवॉस्टॉक में यात्रा की दूरी बताने वाला 9288 किमी का स्तम्भ

लेकिन इस यात्रा का रोमांच सिर्फ टाइम जोन की यात्रा ही नहीं है। बहुत कुछ है यहाँ करने को। अगर आप के लिए पैसे खर्च करने की कोई सीमा नहीं बंधी है, तो आप प्रथम श्रेणी के डिब्बे में खाते -पीते आठ दिन आराम से काट सकते हैं, लेकिन सामान्य श्रेणी के डिब्बे में अकेले यात्रा करते हुए सारा इंतजाम खुद करना पड़ता है। एक चलती ट्रेन के डिब्बे में बैठे हुये 8 -दिन तक अपने नाश्ते, लंच , डिनर सबका इंतजाम। आप अकेले यात्रा करते हुए बोर ना हो, इसका इंतजाम। 8 -दिन तक ना नहाते हुए भी खुद को तरोताजा महसूस कर सके, इसका इंतजाम। सोते समय कोई खूबसूरत दृश्य छूट ना जाये, इसका इंतजाम। ट्रेन में सामान को सुरक्षित रखते हुए , अपने दैनिक कार्यों से निवृत होने का इंतजाम। 8 -दिन की लगातार यात्रा थकाऊ हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि बीच में 2-3 जगह रुककर थोड़ा आराम किया जाये और कुछ अन्य खूबसूरत शहर भी देखे जाये। कुल मिलाकर इस यात्रा के लिए आपको बहुत ही सटीक और सही योजना बनानी पड़ती है। भले ही एक आम ट्रेन यात्रा हो , लेकिन व्लाडिवॉस्टॉक से मॉस्को का यह सफ़र, जिंदगी भर के लिए यादगार बन जाता है और ट्रेन के डिब्बे की वो यादें आपकी जिंदगी का एक हिस्सा बन जाती हैं।

This Post Has 2 Comments

  1. JITENDER

    श्रीमान अगला पोस्ट कब?

    1. Solo Backpacker

      ट्रांस-साइबेरियन यात्रा से जुड़े बाकी पोस्ट में अभी थोड़ा समय लगेगा , लेकिन तब तक आप अन्य यात्रा वृतांतों का आनंद उठा सकते हैं, जो यहाँ पर क्रमशः प्रकाशित होते जायेंगे 🙂

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