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विष्णुपद मंदिर, गया

गया तीर्थ की महिमा और फल्गु नदी की पीड़ा

गया..बिहार की राजधानी पटना से लगभग 100 किमी की दूरी पर बसा एक भीड़ भाड़ वाला शहर । जिधर देखो उस तरफ साइकिलों, रिक्शों, कारों और बसों में एक होड़ लगी है। बिना हॉर्न बजाये किसी को चैन नही है। सड़क के दोनों तरफ अस्त-व्यस्त फैली दुकानों पर खरीददारों की भीड़ । शहर में प्रवेश करते ही एक बोर्ड मिलता…

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बराबर गुफाओं वाली ग्रेनाइट की बड़ी चट्टान

बिहार में बराबर की प्राचीन गुफाएँ

इस बार गुवाहाटी से जब अपने पैतृक घर जाने की योजना बना रहा था तो दिमाग में अचानक से एक विचार आया कि क्यूँ ना दो दिन की छुट्टी बढ़ाकर रास्ते में ही पड़ने वाले बोधगया और आस पास के स्थानों का भ्रमण करता चलूँ। सामान्यता मैं गुवाहाटी से कोलकाता फ्लाइट द्वारा और फिर कोलकाता से बनारस ट्रेन द्वारा जाता…

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कामेंग नदी तट की खूबसूरती

भालुकपोंग की प्राकृतिक सुन्दरता

अरुणाचल प्रदेश को प्रकृति ने इतनी खूबसूरती बख़्शी है कि दिल करता है बस उन्हीं वादियों में भटकता रहूँ। बावजूद इसके सच्चाई यही है कि ये वादियाँ घूमने के लिए ही अच्छी लगती है, और यहाँ जीने के लिए कई सारे और संघर्ष करने पड़ते हैं । यह भारत के सबसे दूर-दराज के क्षेत्रों में से एक है, जहाँ इंसान…

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दिबांग नदी पार करने के लिए नाव की सवारी करती कार

रोइंग से पासीघाट की रोमाँचक कार यात्रा

रोइंग से सुबह निकलने के बाद हमारी मंजिल पास में ही स्थित एक दूसरा कस्बा तेजू था। तेजू से आगे हमें परशुराम कुंड, नामसाई होते हुए गुवाहाटी की वापसी यात्रा प्रारंभ करनी थी। तेजू जाने के लिए रोइंग से दो रास्ते हैं। पहला रास्ता रोइंग कस्बे के बाहर स्वागत गेट के पास से भीष्मकनगर होते हुए तेेजू जाता है। दूसरा रास्ता…

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रोइंग कस्बे का प्रवेश द्वार

रोइंग: अरुणाचल प्रदेश का एक खूबसूरत कस्बा

गुवाहाटी में रहने वाले ज्यादातर लोगों का अरुणाचल प्रदेश से पहला परिचय भालुकपांग या नाहरलागुन के रास्ते होता है। लेकिन मेरी किस्मत कुछ ऐसी थी कि मुझे अरुणाचल प्रदेश से रूबरू होने के लिए पश्चिम से पूरब पूरा असम पार करना पड़ा। उगते सूरज की इस धरती की पहली झलक मुझे इतिहास की एक अनमोल धरोहर स्टिलवेल रोड के चक्कर…

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केदारनाथ धाम

केदारनाथ धाम की यात्रा भाग 1: दिल्ली से गौरीकुंड

वह ईश्वर का प्रकोप भी हो सकता है या प्रकृति के साथ खिलवाड़ का नतीजा..आपकी आस्था, विवेक या किसी और तर्क-वितर्क से उपजा कुछ भी हो सकता है। कारण जो भी रहा हो, लेकिन भारत के वृहद और विविधितापूर्ण धार्मिक समाज ने ऐसी त्रासदी शायद ही कभी देखी थी । । भगवान शिव के उस पावन धाम तक पहुँचने की…

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रूमचुंग गाँव से सूर्यास्त का दृश्य

हेमिस नेशनल पार्क में ट्रेकिंग का चौथा दिन: अतिथि देवो भवः का अनुभव

रात में हड्डियाँ कँपकँपा देने वाली ठंडी हवाएं, आधी रात को स्लीपिंग बैग के अंदर किटकिटाते दाँत और फिर सूरज की रोशनी से नहाई एक ख़ुशनुमा सुबह..हेमिस पार्क में यह रोज का चक्र बन चुका था। अब जनवरी के महीने में जाने पर लेह में ऐसी कड़कड़ाती ठण्ड तो मिलनी ही थी। हेमिस पार्क में हमारा वह चौथा दिन था।…

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हेमिस नेशनल पार्क में कैंपिंग

हेमिस नेशनल पार्क में ट्रेकिंग का तीसरा दिन: बर्फीले तेंदुए की तलाश

हर दिन की तरह तीसरे दिन सुबह भी वही कहानी शुरू हों गयी। तीनों लोग उठ तो चुके थे, लेकिन ठण्ड के कारण स्लीपिंग बैग से बाहर नहीं निकल रहे थे। पहले आप-पहले आप के चक्कर में एक बार फिर सुबह निकलने में देर हो गई।  वैसे तीसरे दिन का हमारा लक्ष्य तो युरुत्सु (Yurutsu) गाँव की तरफ बढ़ना था,…

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जिंगचेन गाँव में कैंपिंग

हेमिस नेशनल पार्क में ट्रेकिंग का दूसरा दिन: जिंगचेन में कैंपिंग

लदाख के हेमिस राष्ट्रीय पार्क में अपने ऑफिस के दो साथियों के साथ बिताये हुए चार दिन मेरी जिन्दगी के कुछ रोमाँचक लम्हों में से एक हैं। मारखा घाटी का वो ट्रेक हम पूरा तो नहीं कर पाये , लेकिन उन चार दिनों में बहुत कुछ सीखने को मिला। पहले दिन हमें ट्रेक शुरू करने में थोड़ा देरी हो गई…

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स्पितुक गाँव से गुजरती सिंधु नदी

हेमिस नेशनल पार्क में ट्रेकिंग का पहला दिन: स्पितुक से जिंगचेन की ओर

चादर ट्रेक के साथ हमारा दुर्भाग्य: जनवरी की कंपकपाती सर्दियों में लेह की यात्रा सभी लोग नहीं करते हैं। लद्दाख का यह बर्फीला रेगिस्तान गर्मियों के मौसम में तो पर्यटकों के सैलाब से गुलजार हो उठता है,  लेकिन सर्दियों में बहुत कम ही लोग इधर का रुख करते हैं। वो तो कड़कड़ाती सर्दियों के मौसम में जमी हुई जांस्कर नदी…

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