शिलाँग से मेरा परिचय स्कॉटलैंड के पूरक के रूप में नही हुआ था । मेरे लिए तो शिलाँग की पहचान मेघालय की राजधानी, एक हिल स्टेशन और एक फ़ैशनेबल शहर के रूप में ही थी । सुन रखा था कि शिलाँग बहुत ही सुंदर हिल स्टेशन है, इसलिए पूर्वोत्तर भारत के बारे में सोचने से शिलाँग घूमने का बड़ा मन करता था। लेकिन पूर्वोत्तर भारत में पहली बार क़दम रखने पर कुछ ऐसी व्यस्तता आई कि गुवाहाटी आकर भी शिलाँग ना घूम पाया और माता कामख्या देवी के दर्शन करके वापस लौटना पड़ा । गुवाहाटी पहुँचकर भी शिलाँग ना घूम पाने का मलाल तीन साल तक रहा और फिर समय आया शिलाँग से रूबरू होने का ।

शिलाँग की पहली यात्रा के दौरान लगा कि इसकी ख़ूबसूरती का जो भ्रमजाल बना रखा था, वो सब एक झटके में टूट गया और मैं योजना के अनुसार चार दिन तक रुकने के बजाय दो दिन में ही वापस भाग आया । कुछ भी विशेष तो नही लगा था शिलाँग में । लेकिन फिर इस शहर को पूरब का सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाला शहर क्यों माना जाता है ? इस सवाल का जवाब जानने के लिए मुझे शिलाँग की एक-दो नही बल्कि आठ-दस यात्राएँ करनी पड़ी ।

गुवाहाटी में रहने का एक फ़ायदा तो मिलना ही था । जब मन करे तब शिलाँग निकल लो । कई बार शिलाँग में भटकने के बाद समझ आया कि इस शहर की ख़ूबसूरती इसकी भीड़ में है, इसकी सड़कों पर तरीक़े से लगी वाहनों की कतार में है, इसके चारों तरफ़ फैली धुँध में है, कभी भी हो जाने वाली बारिश में है, लेडी ह्याड्री (या लेडी हैदरी) पार्क में कूदते-फांदते बच्चों की खिलखिलाहट में है, वार्ड्स लेक में हाथों में हाथ डाले नौकायन करते युवक-युवतियों के उत्साह में है, बाज़ार में बैठकर मिठाइयाँ खाने या सड़क किनारे से ख़रीददारी करते चेहरों की मुस्कराहट में है, उमियम झील में है, बाकी फ़ैशन, संगीत, इतिहास वो सब तो हैं ही । शिलाँग, पूरब का स्कॉटलैंड, एक शानदार और ज़िंदादिल शहर ।

विषयसूची

  1. एलीफैंट फ़ॉल्स
  2. शिलाँग पीक
  3. उमियम झील
  4. वार्ड्स लेक
  5. लेडी ह्याड्री पार्क
  6. गोल्फ़ लिंक
  7. पुलिस बाज़ार
  8. राजकीय संग्रहालय
  9. तितली संग्रहालय
  10. शहर के अन्य पर्यटन स्थल

शिलाँग की पहली यात्रा और निराशा

गुवाहाटी में आए मुझे एक महीने हो चुके थे और बार-बार दिल शिलाँग घूमने के लिए कुलबुलाता रहता था । लेकिन दिक़्क़त यह थी कि परिवार वालों को जुलाई में आना था और दिमाग़ में था कि शिलाँग की पहली यात्रा उनके साथ ही की जाए । जून के आख़िरी हफ़्ते में निकलने का मौक़ा भी मिला तो मैं शिलाँग की जगह जोवई घूम आया । यह भी एक विडम्बना ही थी कि शिलाँग ना घूम पाने की कसक तीन साल तक साथ रही और जब पहली बार मेघालय घूमने का मौक़ा मिला, तो मैंने शुरुआत की पश्चिमी जयन्तिया हिल्स ज़िले के मुख्यालय जोवई से । ख़ैर, जुलाई में मेरी धर्मपत्नी और बिटिया भी गुवाहाटी आ गई, तो शिलाँग घूमने की योजना बनने लगी ।

अगस्त के महीने में एक दिन हम गुवाहाटी से शिलाँग के लिए निकल पड़े । क़ायदे से तो हमें शिलाँग वाली बस पकड़नी थी, लेकिन आई एस बी टी गुवाहाटी पर एक घंटे तक इंतज़ार करने के बाद भी शिलाँग की सीधी बस नही मिली तो हमने अगरतला जाने वाली एक बस पकड़ ली, जो शिलाँग शहर से होकर गुज़रने वाली थी । तब समझ में आया कि शिलाँग जाने के लिए गुवाहाटी से कोई गाड़ी पकड़नी हो तो आई एस बी टी से अच्छा विकल्प पलटन बाज़ार और खानापाड़ा ही है।

गुवाहाटी से बाहर निकलते ही लगा कि प्रकृति की ख़ूबसूरती हर क़दम पर बिखरी पड़ी है । बारिश के मौसम में शिलाँग जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे की पहाड़ियों पर उठती धुँध, बारिश से भीगी चमचमाती सड़क और हर तरफ़ फैली हरियाली देखकर मन प्रसन्न हो गया था । लग रहा था कि हर कोण से, हर क़दम पर तस्वीरें उतारता चलूँ । इतना मज़ा तो दो महीने पहले ही उसी राजमार्ग से होकर जोवई की यात्रा में भी नही आया था ।

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गुवाहाटी शिलाँग रोड

चार घंटे तक राजमार्ग पर दौड़ने के बाद हमारी बस उमियम झील (Umiam Lake) के सामने से गुज़री । इतनी बड़ी और इतनी शानदार झील कहाँ किसी शहर के नसीब में होती है? मुश्किल से 8-10 शहर होंगे जहाँ कोई झील पूरी भव्यता के साथ आँखों के सामने होती होगी। अभी तक तो मुझे ऐसी झील बस श्रीनगर, उदयपुर , हैदराबाद और भोपाल में दिखी है । झील से आगे बढ़ते हुए हमारी बस शिलाँग शहर में घुसने के लिए पहाड़ी रास्ते पर चढ़ने लगी । बादलों के कारण सड़क पर थोड़ी धुँध थी, हल्की-हल्की बारिश भी हो रही थी और गीली सड़क के दोनों तरफ़ खड़े चीड़ के पेड़ों की सुंदरता द्देखने लायक थी।

शहर में घुसते ही बस का रेंगना शुरू हो गया । चूँकि बस आगे अगरतला तक जा रही थी, इसलिये हमें शिलाँग शहर के अंदर धनखेती नामक जगह में उतरना पड़ा । हालाँकि गुवाहाटी से शिलाँग तक चलने वाली ज़्यादातर कारें, जीपें और बसें सवारियों को पुलिस बाज़ार में ही उतारती हैं । लेकिन लम्बी दूरी तक जाने वाली बसें सवारियां धनखेती में उतारती हैं । सौभाग्य से हमारा गेस्ट हाउस भी धनखेती में ही था, तो हमें वहाँ उतरने में कोई दिक़्क़त नही महसूस हुई ।

अगले दो दिन तक हम शिलाँग के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर घूमते रहे । लेडी हैदरी पार्क में टहलना, वार्ड्स लेक में बोटिंग और पुलिस बाज़ार में ख़रीददारी जैसे कार्यकलापों में व्यस्त रहे । बस शिलाँग पीक से शहर की सुंदरता नही निहार पाए क्योंकि बादलों ने पूरे शहर को अपने आग़ोश में ले रखा था । लेकिन दो दिन घूम के ऐसा लगा कि शिलाँग वैसा नही था, जैसा हमने सोचा था । शहर फ़ैशनेबल ज़रूर है, लेकिन ऐसा भी नही कि यहाँ पहुँचने के लिए बेसब्र हुआ जाए । हालत ऐसी थी कि हमने अगले दो दिन की गेस्ट हाउस बुकिंग को रद्द कराया और वापस गुवाहाटी आ गए । बड़े दिनों तक शिलाँग से मिलने का इंतज़ार किया और जब मिला तो यह शहर पहली नज़र में बिल्कुल भी पसंद नही आया ।

शिलाँग से प्यार

शिलाँग की पहली यात्रा की निराशा और होटलों के महँगे किरायों ने अगले कुछ महीनों तक मुझे शिलाँग से दूर रखा । फिर गुवाहाटी में थोड़ा ज़िंदगी स्थिर होने के बाद मैंने शिलाँग की तरफ़ रूख करना शुरू किया । फिर वो दिन भी आया जब उमियम झील के सुबह, दोपहर और शाम बदलते नज़ारों का जादू चलने लगा; शिलाँग पीक से आँखों के सामने दूर तक फैले शहर का विस्तार सम्मोहित करने लगा; बारापानी एयरपोर्ट से शिलाँग शहर के अनदेखे रास्तों पर ऐसे दृश्य मिलने लगे जो आम पर्यटकों की नज़रों से दूर ही रहते हैं; गोल्फ़ लिंक की ख़ूबसूरती हर बार खींचने लगी और पुलिस बाज़ार की भीड़ में एक सुकून मिलने लगा ।

कई सारी यात्राओं के बाद मुझे समझ आया कि भारी ट्रैफ़िक में भी सड़क के किनारे सलीकें से पंक्तिबद्ध गाड़ियाँ कैसे अन्य शहरों (पूर्वोत्तर भारत को छोड़कर) के लिए एक सबक़ हैं, दोनों तरफ़ लगी गाड़ियों की क़तारों के बीच से अपनी बाइक निकाल कर ले जाने में कितना आनंद है, वार्ड्स लेक के किनारे टहलने और बाद में बोटिंग करने का कैसा मज़ा है, भारी किराए वाले होटलों के बीच सस्ते में रहने का सुकून कैसा है ? पुलिस बाज़ार में लोगों की भारी भीड़ के बीच जलेबी और आइसक्रीम खाने में एक अलग ही आनंद है ।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शिलाँग कैंट की गहमागहमी के क़िस्से , शिलाँग में चलने वाली विंटेज विली जीपों का इतिहास और शहर में फैले अनगिनत पश्चिमी शैली के बने भवन शिलाँग के महत्त्वपूर्ण मिलिटरी बेस बनने के जीते-जागते उदाहरण हैं । कई बार आने-जाने के बाद मैंने शिलाँग शहर को ज़्यादा क़रीब से जाना, एक जनजाति इलाक़े के फ़ैशनेबल शहर में तब्दील हो जाने की कहानियों को पढ़ा और युवाओं की रगों में बहते पश्चिमी संगीत को जुनून को देखा । अपनी बार-बार की यात्राओं से मैंने शिलाँग के बारे में जितना समझा, शहर को जब-जब देखा, ख़ुद को मंत्रमुग्ध होता पाया ।

यही कारण है कि पूरब का स्कॉटलैंड मेरे लिए भी पूर्वोत्तर भारत का सबसे ज़िंदादिल शहर है और अब इसमें कोई दो राय नही कि मुझे इस शहर से प्यार है, इस शहर की भीड़ से प्यार है, लेडी ह्याड्री पार्क में बहने वाली हवा से प्यार है, उमियम झील के विहंगम विस्तार से प्यार है, वार्ड्स लेक के किनारों से प्यार है और इस शहर के फ़ैशन से प्यार है ।

शिलाँग में घूमने योग्य जगहें

एलीफैंट फ़ॉल्स (Elephant Falls)

यह झरना शिलाँग का सबसे प्रसिद्ध आकर्षण है । यह चेरापूँजी के रास्ते में शहर से क़रीब 12 किमी दूर स्थित है, लेकिन शहर के पास होने के कारण भीड़ बहुत ज़्यादा हो जाती है और आसपास की भीड़ से झरने का वास्तविक आकर्षण खो सा जाता है।

एलीफैंट फ़ॉल्स तीन स्तरों पर गिरते पानी का झरना है । पहला स्तर तो पार्किंग क्षेत्र से कुछ सीढ़ियाँ उतरने के बाद ही दिख जाता है । यह मुझे बाक़ी दोनो स्तरों की तुलना में ज़्यादा भव्य लगता है ।

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एलीफैंट फ़ॉल्स का पहला स्तर

थोड़ी सी सीढ़ियाँ उतरने के बाद झरने का दूसरा स्तर दिखता है, जो कुछ ख़ास नहीं लगता । सीढ़ियों वाले रास्ते से थोड़ा और नीचे जाने पर हम झरने के सबसे निचले स्तर पर पहुँच जाते हैं, जहाँ झरने के सामने बने पानी के पूल में जा सकते हैं । हालाँकि यहाँ कहीं भी नहाने की अनुमति है । कहा जाता है कि निचले हिस्से में ही एक एलीफैंट जैसी दिखने वाली बड़ी सी चट्टान के नाम पर अंग्रेज़ों ने इस झरने का नाम एलीफैंट फाल्स रखा था । लेकिन वर्ष 1897 में आए भूकम्प से यह चट्टान बिखरकर बह गई।

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एलीफैंट फ़ॉल्स का तीसरा स्तर

खुलने का समय : सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक प्रतिदिन (सर्दियों में शाम 5 बजे के बाद जाने का कोई फ़ायदा नही है)

प्रवेश शुल्क: 20 रुपए प्रति व्यक्ति, मोबाइल या डिजिटल कैमरा 20 रुपए

पब्लिक ट्रांसपोर्ट: शिलाँग से मिलियम की तरफ़ चलने वाली टैक्सियाँ एलीफैंट फ़ॉल्स से 300-400 मीटर दूर मुख्य सड़क पर छोड़ देती हैं । वहाँ से एलीफैंट फ़ॉल्स घूमने के बाद शहर में वापसी के लिए फिर से टैक्सी मिल सकती है ।

शिलाँग पीक (Shillong Peak)

शिलाँग ही नही बल्कि पूरे मेघालय की सबसे ऊँची चोटी शिलाँग पीक से इस शहर का भव्य नज़ारा दिखता है । शिलाँग पीक पर भारतीय वायुसेना के उच्चकोटि के रडार लगे हैं, जो इस तरफ़ के आसमान में घुसने वाले हर घुसपैठिए पर नज़र रखते हैं । इसके अलावा पहाड़ी के नीचे एक विस्तृत क्षेत्र में भारतीय वायु सेना की पूर्वी एयर कमाँड (Eastern Air Command) का मुख्यालय है, इसलिए यह सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है ।

शिलाँग पीक तक पहुँचने के लिए वायुसेना के रिहायशी क्षेत्र से गुज़रना पड़ता है, इसलिए यहाँ बिना अनुमति के घुसना वर्जित है । वैसे तो शिलाँग पीक के पास फ़ोटोग्राफ़ी की अनुमति है, लेकिन उसके अलावा बाकी क्षेत्र में फ़ोटोग्राफ़ी वर्जित है । शिलाँग पीक से क़रीब 2 किमी पहले वायुसेना की एक सुरक्षा चौकी है। वहाँ मुख्य गेट पर अपना ड्राइविंग लाइसेन्स और गाड़ी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट दिखाकर आगे बढ़ने की अनुमति लेनी पड़ती है । गेट पर बैठे संतरी ड्राइविंग लाइसेन्स अपने पास जमा कर लेते हैं, जिसको वापसी के समय लौटाया जाता है । शिलाँग पीक के आसपास ज़्यादातर समय धुँध छाई रहती है और व्यू-पॉइंट से कुछ भी नज़र नही आता है , इसलिए वहाँ धूप निकलने के बाद ही जाना सही रहता है ।

खुलने का समय : सुबह 9 बजे से दोपहर में 3.30 बजे तक

प्रवेश शुल्क: कोई शुल्क नही है ।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट: शिलाँग से मिलियम की तरफ़ चलने वाली टैक्सियाँ मुख्य सड़क पर शिलाँग पीक की तरफ़ जाने वाले रास्ते पर छोड़ देती हैं, जहाँ से शिलाँग पीक लगभग 7 किमी दूर है । पर्यटकों के ज़्यादा आवागमन वाले मौसम में वहीं सड़क के किनारे कुछ टैक्सियाँ खड़ी रहती है, जिनमें शेयर्ड तौर पर बैठकर शिलाँग पीक तक पहुँचा जा सकता है । वापसी में फिर एक शेयर्ड टैक्सी पकड़कर लौट सकते हैं । इस तरीके से जाने पर मुख्य गेट से पीक के व्यू-पॉइंट तक कम से कम डेढ़ किमी पैदल चलना पड़ता है । कम पर्यटकों वाले मौसम में भी टैक्सी मिल जाती है, क्योंकि पीक के आसपास के गाँवों में रहने वाले स्थानीय नागरिक उसी का प्रयोग करते हैं, लेकिन तब टैक्सी मिलने का समयांतराल बढ़ जाता है ।

नोट : गूगल मैप में देखने पर शिलाँग पीक का एक रास्ता लैतकोर की तरफ़ से भी दिखता है । ऐसा लगता है कि लैतकोर की तरफ़ से चढ़कर हम शिलाँग कैंट की तरफ़ (एलीफैंट फ़ॉल्स वाला रास्ता) से उतर सकते हैं । लेकिन वास्तविकता में आम नागरिकों को लैतकोर की तरफ़ से शिलाँग पीक की तरफ़ जाने की अनुमति नही है । इसलिए शिलाँग पीक जाने के लिए मुख्य रास्ते से ही जाना ठीक रहता है ।

उमियम झील (Umiam Lake)

शिलाँग से गुवाहाटी के मुख्य रास्ते पर शहर से क़रीब 12-13 किमी दूर स्थित उमियम लेक यहाँ का एक मुख्य आकर्षण है। कई लोग इसको बारापानी लेक भी बोलते हैं । क़रीब 5 किमी के क्षेत्र में सड़क के किनारे-किनारे उमियम लेक को देखने के लिए 4-5 व्यू-पॉइंट्स बने हुए हैं । इनमें ऊँचाई से देखने के लिए टोयोटा और महिंद्रा के शोरूम के पास का उमियम लेक व्यू-पॉइंट और ऑर्किड लेक रिसॉर्ट का व्यू-पॉइंट सबसे ज़्यादा अच्छा है । ऑर्किड लेक रिसॉर्ट के पास से उतरकर झील में नौका-विहार भी कर सकते हैं ।

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उमियम झील, शिलाँग

खुलने का समय : सूर्योदय से सूर्यास्त

प्रवेश शुल्क: कोई शुल्क नही है ।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट: शहर से उमियम लेक के निचले हिस्से तक बहुत सारी टैक्सियाँ चलती हैं । वैसे भी शिलाँग- गुवाहाटी के मुख्य मार्ग पर स्थित होने के कारण पब्लिक ट्रांसपोर्ट आराम से मिल जाता है ।

वार्ड्स लेक (Ward’s Lake)

पुलिस बाज़ार से मात्र एक किमी दूर स्थित यह ख़ूबसूरत झील नौकायन का लुत्फ़ उठने के लिए एक बहुत ही अच्छी जगह है । झील पर बने लकड़ी के पुल से आसपास का नज़ारा बड़ा शानदार दिखता है । झील के किनारे-किनारे चहलक़दमी करने में भी बड़ा मज़ा आता है ।

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वार्ड्स लेक, शिलाँग

खुलने का समय : गर्मियों (मार्च से अक्टूबर) में सुबह 8.30 बजे से शाम 6.30 बजे तक । सर्दियों (नवम्बर से फ़रवरी) में सुबह 8.30 बजे से शाम 4.30 बजे तक । शनिवार और रविवार को झील का प्रवेश द्वार शाम को आधा घंटा देरी से बंद होता है । मंगलवार को प्रवेश बंद रहता है ।

प्रवेश शुल्क: वयस्क 10 रुपए प्रति व्यक्ति और बच्चे 5 रुपए । दिव्यांग 5 रुपए और वरिष्ठ नागरिक 5 रुपए प्रति व्यक्ति । डिजिटल कैमरे का 20 रुपए । हैंडीकैम 100 रुपए और प्रोफ़ेशनल वीडियो कैमरा 200 रुपए। नौकायन 25 मिनट ( 2 सीट वाली नाव 50 रुपए और 4 सीट वाली नाव 100 रुपए) । नौकायन 45 मिनट ( 2 सीट वाली नाव 80 रुपए और 4 सीट वाली नाव 160 रुपए) ।

लेडी ह्याड्री पार्क (Lady Hyadri Park)

अविभाजित असम के पहले ब्रिटिश गवर्नर की पत्नी के नाम पर बना यह पार्क शिलाँग के सिविल अस्पताल के पीछे एक बड़े हिस्से में फैला हुआ है । इस पार्क में फूलों की कई प्रजातियाँ हैं, एक हिस्से में बच्चों के झूले और चकरियाँ हैं, एक अन्य क्षेत्र में जल क्रीड़ा करते पक्षियों का झुंड भी मौजूद रहता है । शहर की भीड़भाड़ से दूर परिवार और बच्चों के साथ शांतिपूर्ण ढंग से कुछ समय बिताने के लिए यह एक अच्छी जगह है ।

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लेडी हैदरी (ह्याड्री)पार्क, शिलाँग

खुलने का समय : सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक । पार्क सोमवार को बंद रहता है ।

प्रवेश शुल्क: वयस्क 10 रुपए प्रति व्यक्ति और बच्चे 5 रुपए । दिव्यांग 5 रुपए और वरिष्ठ नागरिक 5 रुपए प्रति व्यक्ति । डिजिटल कैमरे का 10 रुपए । हैंडीकैम 50 रुपए और प्रोफ़ेशनल वीडियो कैमरा 100 रुपए।

गोल्फ़ लिंक (Golf Link)

गोल्फ़ लिंक के इलाक़े में घुसते ही एक ख़ास इलाक़े का एहसास आने लगता है । चमचमाती सड़कों के बीच के ख़ाली मैदानों में बिछी मख़मली घास और आस-पास के क्षेत्र की हरियाली बरबस ही आकर्षित करने लगती है ।

पुलिस बाज़ार (Police Bazar)

हमेशा भीड़भाड़ से भरा रहने वाला पुलिस बाज़ार के क्षेत्र को ही शिलाँग का केंद्र बिंदु समझा जाता है । यहाँ होटलों की लम्बी क़तारें है, वाहनो के झुंड हैं और इंसानों का एक रेला सा लगा रहता है । यह कपड़ों और इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं की ख़रीददारी के लिए शिलाँग की सबसे अच्छी मार्केट हैं । यहाँ पेटपूजा के लिए एक से बढ़कर एक रेस्टोरेंट भी मौजूद हैं ।

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पुलिस बाज़ार, शिलाँग

राजकीय संग्रहालय (State Museum)

मेघालय के राजकीय संग्रहालय को अब कैप्टन विलियमसन संगमा राजकीय संग्रहालय के नाम से जाना जाता है । वर्ष 1975 में बने इस संग्रहालय में स्थानीय जनजातियों में लोकप्रिय हैंडीक्राफ़्ट, कला, रीति-रिवाज, रोज़मर्रा की चीज़ें, साज-श्रिंगार के गहने, पारम्परिक बर्तनों, कपड़ों और हथियारों का उत्कृष्ट संग्रह है । राजकीय संग्रहालय की एक शाखा तुरा में भी है ।

खुलने का समय : सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक । शनिवार और रविवार को संग्रहालय बंद रहता है ।

प्रवेश शुल्क: वयस्क 5 रुपए प्रति व्यक्ति और बच्चे 2 रुपए । विद्यार्थी 3 रुपए । मोबाइल कैमरा 10 रुपए । वीडियो कैमरा 100 रुपए।

तितली संग्रहालय (Butterfly Museum)

शिलाँग में एक तितली संग्रहालय (Butterfly Museum) भी है, जहाँ रंग-बिरंगी ततलियों, मकड़ियों, भृंगो इत्यादि का अनूठा संग्रह है । तितलियों का यह अनूठा संग्रह पूरी दुनिया की रंग-बिरंगी प्रजातियों को समेटे हुए है, हालाँकि अधिकांश प्रजातियाँ मेघालय से ही हैं । तितली संग्रहालय को Wankhar Entomology Museum के नाम से भी जानते हैं । शिलाँग से गुवाहाटी की तरफ़ वाली सड़क पर मावप्रेम (Mawprem) का तिराहा पार करने के थोड़ी देर बाद मेघालय पर्यटन का तितली (Butterfly) संग्रहालय का रास्ता दिखाता बोर्ड नज़र आ जाता है । एक प्राइवेट प्रॉपर्टी के अंदर स्थित यह संग्रहालय वास्तव में एक परिवार के सदस्यों द्वारा किया गया व्यक्तिगत संकलन है ।

चूँकि यह व्यक्तिगत संग्रह एक घर में स्थित है, इसलिए यहाँ किसी संग्रहालय जैसी औपचारिकता नही है । घर में घुसने के लिए दरवाज़े की घंटी बजाइए, और अगर मकान मालिक या मालकिन का मूड ठीक रहा तो आपको संग्रह दिखाया जा सकता है । प्रवेश शुल्क उन्हीं को देना पड़ता है ।

खुलने का समय : सोमवार से शुक्रवार सुबह 10 बजे से शाम 4.30 बजे तक । शनिवार को सुबह 10.30 बजे से दोपहर 1 बजे तक । रविवार को संग्रहालय बंद रहता है ।

प्रवेश शुल्क: भारतीय नागरिक 50 रुपए प्रति व्यक्ति । विदेशी नागरिक 100 रुपए प्रति व्यक्ति। मोबाइल या डिजिटल कैमरा से ली गई हर फ़ोटो का 10 रुपए ।

शहर के अन्य पर्यटन स्थल

भारतीय सेना का राइनो संग्रहालय (Rhino Museum), नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी (North-Eastern Hill University) का कैंपस, डॉन बॉस्को संग्रहालय (Don Bosco Museum), ऑल सेंट्स चर्च (All Saints Church), एयरफ़ोर्स म्यूजियम (Air Force Museum), कैथेड्रल आफ़ मैरी हेल्प आफ़ क्रिसचियंस (Cathedral of Mary Help of Christians) , स्वीट फाल्स (Sweet Falls) इत्यादि शिलाँग के अन्य पर्यटन स्थल हैं । इन सबके अलावा शिलाँग शहर से थोड़ी दूर पर ही लाइलुम कैनयान (Laitlum Canyon) और मावफलाँग सैक्रेड ग्रूव्स (Mawflang Sacred Grooves) जैसे पर्यटन स्थल भी हैं ।

मेघालय का प्रमुख पर्यटन स्थल चेरापूँजी (सोहरा) शिलाँग से मात्र 53 किमी दूर है । एक अन्य प्रमुख प्रर्यटन स्थल डावकी मात्र 80 किमी दूर है । शिलाँग से एक दिन में ही डेविड स्कॉट ट्रेल ट्रेक और आधे दिन में ही बैम्बू ट्रेल ट्रेक भी किया जा सकता है । इन सभी के बारे में विस्तृत पोस्ट आगे बाद में लिखता रहूँगा ।

शिलाँग कैसे पहुँचे?

शिलाँग पहुँचने के लिए असम की राजधानी गुवाहाटी से होकर सड़क मार्ग की यात्रा करनी पड़ती है । वैसे तो शिलाँग में एक हवाई अड्डा भी है, लेकिन वहाँ के लिए दिन भर में कोलकाता से सिर्फ़ दो ही जहाज़ चलते हैं । इन विमानों का आवागमन भी काफ़ी हद तक मौसम पर निर्भर करता है ।

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शिलाँग (बारापानी) हवाई अड्डा

गुवाहाटी से शिलाँग की यात्रा के बारे में मैंने एक विस्तृत पोस्ट लिखी है, जिसको आप इस लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं :

गुवाहाटी से शिलाँग कैसे पहुँचे?

शिलाँग में पब्लिक ट्रांसपोर्ट

पब्लिक बसों और शेयर्ड टैक्सियों के रूप में शिलाँग में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का एक अच्छा नेटवर्क मौजूद है । लगभग हर टूरिस्ट स्पॉट के लिए पब्लिक बसें मिल जाती हैं । शिलाँग के प्रमुख इलाक़ों जैसे ईवदुह (Iewduh), पुलिस बाज़ार, धनखेती, लैटकोर, गोल्फ़ लिंक, नेहू इत्यादि के लिए पब्लिक बसें आसानी से मिल जाती हैं ।

शिलाँग के अंदर घूमने-फिरने के लिए पब्लिक बसों की तुलना में शेयर्ड कारों का प्रयोग करना ज़्यादा सुविधाजनक है । काले-पीले रंग में रंगी ये कारें सवारी गाड़ियों की तरह ही चलती हैं । सड़क किनारे से किसी भी काली-पीली कार को हाथ हिलाकर रोक सकते हैं और फिर अपने गंतव्य तक 10-20 रुपए में पहुँच सकते हैं, बस शर्त यही है कि वो कार उधर जाती हो । अकेले जाना है तो कार को रिज़र्व भी कर सकते हैं ।

नोट : रविवार को शिलाँग की अधिकांश दुकानें बंद रहती हैं । सड़कों पर गाड़ियाँ भी कम चलती हैं । लेकिन ऐसा नही है कि शहर में आवागमन बिल्कुल ही ठप हो जाए । कम से कम यहाँ मिज़ोरम की राजधानी आइज़ाल या नागालैंड की राजधानी कोहिमा जैसा हाल नही है । पुलिस बाज़ार में सामान्य दुकानें तो बंद रहती हैं, लेकिन होटल और रेस्टोरेंट खुले रहते हैं । सड़क किनारे जैकेट, कपड़े, जूते-चप्पल और अन्य सामान बेचने वालों की भीड़ रहती है ।

शिलाँग में होटल और गेस्ट हाउस

शिलाँग में रात्रि विश्राम के लिए होटल, गेस्ट हाउस और होमस्टे पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं । हालाँकि इनके किराए की दरें थोड़ी ज़्यादा लगती हैं । ज़्यादातर होटल पुलिस बाज़ार और बड़ा बाज़ार के आसपास स्थित हैं, लेकिन यह शहर के सबसे व्यस्त रहने वाले क्षेत्र हैं तो रात-दिन चिल्ल्पों मची रहती है । पुलिस बाज़ार के आसपास होटल रहने से कहीं भी आने-जाने के लिए यातायात के साधन बड़ी सुगमता से मिल जाते हैं ।

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शिलाँग में एक भीड़भाड़ वाला बाज़ार

चेरापूँजी जाने वाले रास्ते पर शहर की बाहरी सीमा में स्थित मिलियम (Mylliem) में कई सारे होटल और होमस्टे हैं । इसी तरह लाइलुम कैनयान के रास्ते में स्थित लैतकोर में भी होटल और होमस्टे स्थित हैं । लेकिन मिलियम या लैतकोर में रुकना तभी अच्छा रहेगा जब आपके पास ख़ुद का वाहन हो नहीं तो आपको और कहीं की गाड़ी पकड़ने के लिए शहर में आना पड़ेगा ।

अगर आपको उमियम लेक की प्राकृतिक ख़ूबसूरती का आनंद लेना हो तो ऑर्किड लेक रिसॉर्ट रुकने का एक बेहतरीन विकल्प है । शिलाँग पीक चूँकि संवेदनशील क्षेत्र है तो उधर रुकने का कोई विकल्प नही है। एलीफैंट फ़ॉल्स के पास तो रुकने का विकल्प नही है लेकिन मिलियम वहाँ से बस दो किमी की दूरी पर है, जहाँ होटल और होमेस्टे के कई सारे विकल्प हैं।

इन सबके अलावा शिलाँग में कई सारे हॉस्टल (यूथ हॉस्टल, इसाबेला हॉस्टल, अरबिन्दो हॉस्टल इत्यादि ) भी है, जिनमें से ज्यादातर पुलिस बाज़ार के आसपास ही स्थित हैं  । ऐसे हॉस्टलों में 250 -500 रुपए प्रति रात्रि की दर से डॉर्मिटरी की सुविधा उपलब्ध है। अकेले यात्रियों के लिए यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

This Post Has 3 Comments

  1. Pratik Gandhi

    बेहतरीन जानकारी शिलांग की…शिलांग की ख़ूबी उसकी
    भीड़ में है वाली लाइन बहुत मस्त लगी…बढ़िया लेख..

  2. S B Maurya

    . Very informative blog

  3. SURAJ

    thank you for shillong information because i will traveling to shillong after few days

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